ऐसा भी नहीं है कि गाहे-ब-गाहे ऐसे मामले सामने आते हैं। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी २०१९ से लेकर १५ अप्रैल तक ४६ ऐसे प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं जिसमें महिलाएं शामिल हैं। पर इन प्रकरणों को दर्ज करने में आरपीएफ के कितने पसीने छूटे हैं ये वहां के अधिकारी बताते हैं।
बिलासपुर रेलवे मंडल का कमाऊपुत कोरबा स्टेशन में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले वारदात पर लगाम लगा पाना मुश्किल दिखता है। जिले के विभिन्न साइडिंग से प्रदेश के दीगर जिलों व विभिन्न राज्यों में मालगाडिय़ों के माध्यम से कोयला परिहवन किया जाता है। वहीं जिले में भी विभिन्न संस्थाओं व कंपनियों में कोयला परिहवन के लिए रेलवे पटरियों का जाल सा बिछा हुआ है। ऐसे में लगातार कोयला चोरी की घटना सामने आती है लेकिन अधिकांश मामले में महिलाएं शामिल होती हैं, हलांकि ये सीधे तौर पर शामिल नहीं होती हैं पर रेलवे ट्रैक पर गिरे कोयले को चुनना अपनी जान जोखिम में डालना इस शहर में आम बात है।
इस पर लगाम लगा पाना आरपीएफ के लिए परेशानी का सबब है क्योंकि इनके पास महिला बल नहीं है। इसके अलावा स्टेशन परिसर में ही चोरी व अन्य कुछ घटनाएं भी शामिल हैं जिसमें महिलाएं शामिल होती है उस पर भी काबू पाना आरपीएफ के लिए मुश्किल होता है। इसके अलावा महिलाओं को टे्रन के ऊपर चढ़कर कोयला चोरी करना, रेलवे पटरी पर बैठना जैसी अन्य घटनाएं भी सामने आती है।
अब तक 46 महिलाओं पर प्रकरण दर्ज
रेलवे पुलिस के द्वारा महीने में एक या दो बार ही जागरूकता अभियान चलाया जाता है। अभियान के दौरान पुलिस द्वारा बनाए गए प्रकरण के आंकड़ो की ओर गौर करे तो पिछले तीन से चार महीने में 46 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़े जनवरी 2019 से 15 अपै्रल के हैं। इसमें रेलवे संपत्ति की चोरी का मामला भी शामिल है। बकायदा एक महिला की गिरफ्तारी भी हुई है। वहीं नो पार्किंग, संदिग्ध अवस्था, अनाधिकृत फेरीवाले, भीख मांगने सहित अन्य मामले में 45 महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है।
लेनी पड़ती है रेलवे स्टाफ की सहायता
रेलवे स्टेशन, रेलवे भवन, रेलवे यार्ड सहित रेलवे के अन्य स्थानों पर महिलाओं के हुड़दियों, विवाद जैसी अन्य मामलों की सूचना पर आरपीएफ के जवान मौके पर पहुंचते हैं। इस दौरान पुलिस के द्वारा रेलवे महिला कर्मचारी, चाइल्ड लाइन व स्थानीय महिलाओं की सहायता से मामले को सुलझाया जाता है।
महिला अपराधियों को पकडऩे के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है और महिला आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। अचानक हुई घटनाओं के दौरान दिक्कतें होती है, लेकिन चाइल्ड लाइन व स्थानीय महिलाओं की मदद से मामले को शांत करया जाता है।
आरके राठौर, आरपीएफ थाना प्रभारी, कोरबा रेलवे स्टेशन