scriptभूविस्थापितों ने कुसमुंडा परियोजना के गेट का किया घेराव, मांगे नहीं मानने पर 25 को खदान बंद का ऐलान | Land displaced gheraoed the gate of Kusmunda project | Patrika News

भूविस्थापितों ने कुसमुंडा परियोजना के गेट का किया घेराव, मांगे नहीं मानने पर 25 को खदान बंद का ऐलान

locationकोरबाPublished: May 19, 2022 11:47:34 am

Submitted by:

AKASH SHRIVASTAV

कोरबा. रोजगार की मांग को लेकर भूविस्थापितों ने कुसमुंडा परियोजना के मुख्य गेट को बंद करके तीन घंट तक घेरे रखा। अधिकारियों ने जल्द मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है। अगर मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो 25 मई को खदान बंद करने की चेतावनी दी है।

SECL कुसमुंडा खदान में बरकुटा फेस पर भू- विस्थापितों ने रोका मिट्टी खनन का काम

खदान के भीतर धरना प्रदर्शन करते भू- विस्थापित

भूविस्थापित और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कुसमुंडा एसईसीएल मुख्यालय का घेराव कर समस्या का समाधान करने की मांग की है। मुख्यालय गेट पर प्रदर्शन कर रहे आंदोलकारियों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सीआईएसएफ के साथ पुलिस बल तैनात किए गए थे। सीआईएसएफ बल के साथ प्रदर्शनकारियों की तीखी नोकझोंक भी हुई। प्रदर्शन के दौरान दो घंटे तक मुख्य द्वार बंद रहा जिससे कार्यालय में आवाजाही पूर्ण रूप से बंद हो गई थी। किसान सभा के प्रदर्शन को समर्थन करते हुए रोजगार एकता संघ के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव प्रशांत झा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि एसईसीएल के असली मालिक सीएमडी या जीएम नहीं भूविस्थापित किसान है और वह जमीन जाने के बाद रोजगार के लिए भटक रहे है जिसका एसईसीएल के अधिकारियों के साथ सरकार में बैठे विधायक और मंत्री भी जिम्मेदार है। विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100 फीसदी रोजगार उपलब्ध कराने की मांग लगातार की जा रही है , लेकिन प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी आपस में साठगांठ कर रोजगार बेचने का काम कर रही है।विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है।
रोजगार एकता संघ के राधेश्याम कश्यप, दामोदर श्याम,रेशम यादव,बलराम, नरेंद्र, रघु,ठकराल ने कहा की जिनकी जमीन एसईसीएल में गई उन्हें स्थाई
रोजगार की मांग को लेकर 199 दिन से आंदोलन जारी है और ग्रामीण किसान खेती किसानी पर आश्रित थे लेकिन एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद गांव से अधिकांश विस्थापित परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसईसीएल पर आश्रित है आश्रित परिवार के बेरोजगार युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, दिलहरण बिंझवार,पुरषोत्तम कंवर, संजय यादव, देवेंद्र कुमार, शिवरतन, मोहपाल, राधेश्याम कश्यप, दामोदर, रेशम, बलराम, नरेन्द्र, रघु,अनिल बिंझवार,ठकराल,हेमलाल,बेदराम,बृजमोहन के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित गांव के बेरोजगार उपस्थित थे


इधर अमगांव के भूविस्थापितों ने उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
कोरबा. ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति ने आमगांव के लंबित बसाहट ,रोजगार और मुआवजा का तत्काल निराकरण करने की मांग करते हुए पाली एसडीएम ,गेवरा व दीपका मुख्यमहाप्रबन्धको को ज्ञापन सौंपा है और लेटलतीफी करने पर शांतिपूर्वक चल रहे आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी दी है ।
ऊर्जाधानी संगठन के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने अपने बयान में बताया है कि वर्ष 2004 और 2010 में दो चरणों मे ग्राम आमगांव और आश्रित मुहल्ला जोकाही डबरी का अर्जन किया गया था । किंतु लगभग 20 साल गुजर जाने के बावजूद रोजगार ,बसाहट और मुआवजा लटकाकर रखा गया है । एसईसीएल और राजस्व विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़कर बचने की कोशिश करते रहे हैं जबकि सभी स्तर के हर बैठकों में समाधान का झुनझुना थमाया जा रहा है । नियमो का हवाला देकर पात्र और अपात्र बताकर ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि भूमि अर्जन गेवरा क्षेत्र के कोयला उत्खनन के लिए किया गया था और अब उक्त स्थल को दीपका क्षेत्र को हस्तान्तरित कर दिया गया है ।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो