प्रबंधन का दावा है कि यह सिर्फ जनरल वेस्ट है, लेकिन सच्चाई है कि इसमें से ज्यादातर प्लास्टिक में मेडिकल वेस्ट भी है। कई प्लास्टिक फेंकने के दौरान फंट चुके हैं। फंटने के बाद खून लगे कर्टन, पट्टी समेत तमाम मेडिकल वेस्ट यहां डंप किए गए हैं। जो कि संक्रमण के लिहाज से बेहद खतरनाक है। प्रबंधन की यह बड़ी लापरवाही है।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि निगम से गाड़ियां नहीं आ रही है इसलिए जनरल वेस्ट का उठाव नहीं हो रहा है। जबकि निगम का कहना है कि हर दिन गाड़ी अस्पताल जा रही है। जनरल वेस्ट इस तरह प्लास्टिक में नहीं होता है। रोजमर्रा की गंदगी को उठाव कर डंप किया जा रहा है। ऐसे में स्पष्ट है कि जो कचरा डंप है वह मेडिकल वेस्ट है ना कि जनरल वेस्ट।
जिस जगह पर कचरा फेंका जा रहा है, वहां से अस्पताल क्वार्टर महज दो सौ मीटर की दूरी पर ही है। लोग यहां-वहां पड़े हुए मेडिकल वेस्ट से खुद परेशान रहते हैं। कई बार यह भी शिकायत सामने आ चुकी है जब वेस्ट को पास ही जला दिया जाता है। उसकी बदबू से लोग परेशान रहते हैं। इसकी शिकायत भी की जा चुकी है।
इधर बायोमेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी भी जमकर खानापूर्ति कर रही है। पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा इन्वायरों फर्म का ठेका समाप्त करने वाली है। रायपुर से दूसरी कंपनी को काम दिया गया है। हालांकि कोरोनाकाल के बाद वह कंपनी काम शुरु करेगी। तब तक पुरानी कंपनी ही काम कर रही है। इसलिए कंपनी द्वारा काम में रुचि नहीं ली जा रही है। कई जगह से कचरा नहीं उठने की भी बात सामने आ चुकी है।
आए दिन अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को लेकर शिकायतें सामने आती है। इनवायरों कंपनी को मशीन लगाने को कहा गया था। कंपनी ने मशीन लगाने से मना कर दिया। कंपनी ने कोरबा से हर दिन कचरा बिलासपुर ले जाकर निष्पादन करने की बात कही। इसपर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने मना कर दिया। बरबसपुर में पुराने तरीके से कचरे का निष्पादन किया जा रहा है।नई कंपनी को मशीन लगाना होगा। मशीन लगने से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
– डॉ अरूण तिवारी, सिविल सर्जन, जनरल वेस्ट