शहर में 24 मोबाइल टॉवर कहीं छत में तो कहीं घनी आबादी में लगे है। टॉवर कंपनियों को सालाना पालिका को 1000 रुपए शुल्क जमा करना होता है। लेकिन इनमें से 7 मोबाइल टावर तो हर साल पैसा जमा कर रहा है। बाकी 17 मोबाइल टावर अवैध रूप से संचालित हो रहा है। अवैध रूप से लगे होने के बावजूद जिम्मेदार कार्रवाई नहीं कर रहे है। इससे इनके हौसले बुलंद है। टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन लोगों के जान के लिए खतरा है। शहर में तीन दर्जन मोबाइल टावर हैं। जिसमें नेताजी चौकए नैला स्टेशन रोडए केरा रोडए बीडीएम नगर के टावर प्रमुख हैं। अमूमन शहर के अधिकतर टावर रिहायसी स्थानों में ही लगे हुए हैं।
बीएसएनएल व टाटा ने तो २006 से नहीं पटाया शुल्क
नवीनीकरण शुल्क पटाने में सबसे ज्यादा फिसड्डी बीएसएनएल व टाटा टेलिकाम कंपनी है। बीएसएनएल तो 2006 से अब तक नवीनीकरण शुल्क नहीं पटाए है। जिससे अब तक बकाया 12 हजार रुपए हो गया है। इसी तरह टाटा टेलीकाम का भी 12 हजार रुपए बकाया है। जबकि सालाना 1000 रुपए पटाना होता है। बावजूद पटाने रूचि नहीं ले रहे है।
क्या टॉवर लगाने की गाइन लाइन
मोबाइल टॉवर लगाने की वर्तमान गाइड लाइन के अनुसार आवासीय क्षेत्रों टॉवर लगाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। आवासीय क्षेत्रों में जहां मोबाइल टॉवर लगाना है, उसके आसपास रहने वाले आवासीय भवन मालिकों से मोबाइल टॉवर लगाने की सहमति आवश्यक है। भवन के सहमति के बाद भी आवासीय भवन से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर टॉवर लगाया जा सकता है। शहर में टॉवर नियम विरूद्ध आवासीय क्षेत्रों में लगे है। न तो आसपास के लोगों की सहमति बनी है और ना ही 100 मीटर दूरी का पालन किया गया है। मोबाइल टावर से रेडिएशन के साथ ही कई तरह का खतरा है।
ये है खतरा
0 कैंसर का खतरा
0 मानसिक बीमारी की संभावना
0 गर्भवती महिलाओं और आने वाले बच्चों को नुकसान
0 स्कूली बच्चों को दिमागी खतरा
0 घर के आसपास लाइटनिंग का खतरा