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कोयले में नमी ने बढ़ाई बिजली संयंत्रों की परेशानी, फुल लोड पर नहीं चल पा रहीं इकाइयां

locationकोरबाPublished: Sep 01, 2018 08:24:28 pm

Submitted by:

Shiv Singh

प्रदेश में बिजली की मांग 3200 मेगावाट पहुंची, सेंट्रल पूल बना सहारा

प्रदेश में बिजली की मांग 3200 मेगावाट पहुंची, सेंट्रल पूल बना सहारा

प्रदेश में बिजली की मांग 3200 मेगावाट पहुंची, सेंट्रल पूल बना सहारा

कोरबा. मानसून की सक्रियता के बीच प्रदेश में बिजली की मांग में थोड़ी कमी आई है। मांग 3200 मेगावाट के आसपास तक बनी हुई है। कोयले में नमी अधिक होने व संयंत्र में आ रही तकनीकी गड़बड़ी से बिजली कंपनी की इकाइयों से जरूरत की पूर्ति नहीं हो रही है। सरकार सेंट्रल पूल से 500 मेगावाट बिजली ले रही है।
कोरबा और जांजगीर चांपा जिले में स्थित बिजली कंपनी के संयंत्र से करीब 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। कोरबा पश्चिम संयंत्र से एक हजार सात मेगावाट, मड़वा से 900 मेगावाट, डीएसपीएम से 388 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
कोरबा पूर्व भी बिजली उत्पादन में 220 मेेगावाट का योगदान दे रहा है। इसके बाद भी प्रदेश में बिजली की मांग पूरी नहीं हो रही है। इसकी पूर्ति के लिए बिजली कंपनी को सेंट्रल पूल से 500 मेगावाट बिजली ले रही है। हाइड्रल प्लांट पर भी निर्भरता बढ़ गई है।
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हाइड्रल की तीनों यूनिट फूल लोड पर
बांगो बांध में पानी के भराव से हाइड्रल से बिजली के उत्पादन में तेजी आई है। 40, 40 मेगावाट की तीनों यूनिट को चलाया रहा है। 116 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। अफसरों का कहना है कि बांध में पानी की आवक अच्छी है। बता दें कि हाइड्रल संयंत्र को अक्सर शाम के समय पिक ऑवर में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए चलाया जाता है। अब बांध में पानी की आवक अधिक होने से हाइड्रल यूनिट को लगातार चलाया जा रहा है।


कोयले की नमी से उत्पादन पर असर
इधर, कोयले में नमी का असर थर्मल पॉवर प्लांटो पर पड़ रहा है। नमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। संयंत्र फूल लोड पर नहीं चल रही है। कोरबा के डॉक्टर श्यामा प्रसाद ताप विद्युत गृह की दोनों यूनिट से 388 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। जबकि संयंत्र में 250 मेगावाट की दो यूनिट हैं। नमी के असर से कोरबा पश्चिम संयंत्र की 500 मेगावाट की इकाई भी प्रभावित हुई है। संयंत्र में आ रही तकनीकी गड़बड़ी से उत्पादन प्रभावित हुआ है।

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