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सनसनीखेज खुलासा: कच्चे घर में टेलरिंग शॉप चलाने वाला दिव्यांग ऐसे बना डेढ़ करोड़ की संपत्ति का मालिक

locationकोरबाPublished: Jan 25, 2022 05:39:42 pm

Patrika Sting: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के हरदीबाजार बाइपास के भू-अर्जन में हुई गड़बड़ी (Disturbance) का मामला, पत्रिका द्वारा की गई स्टिंग ऑपरेशन (Patrika Sting Operation) में ऐसी-ऐसी बातों का हुआ खुलासा जिसे पढ़कर आप भी रह जाएंगे हैरान (Shock)

Sensational disclosure

Divyang Kripal Binjhwar

कोरबा. Patrika Sting: जिस व्यक्ति के नाम पर जमीन के 36 टुकड़े खरीदे गए वह दोनों पैर से दिव्यांग है। एक छोटे से कच्चे मकान में रहता है। रोजी के लिए एक छोटी टेलरिंग दुकान है। दो बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। बीपीएल के राशन कार्ड से आने वाले चावल से इनका घर चलता है, लेकिन आपको अचरज होगा, यह कोरबा में 36 प्रॉपर्टी के मालिक है, जिसका बाजार मूल्य (Market Value) डेढ़ करोड़ रुपए है। पत्रिका स्टिंग में इस जमीनी गफलत का खुलासा (Sensational disclosure) हुआ है।

स्टिंग में बेनामी संपत्ति का यह गरीब मालिक प्रति एकड़ 20-30 रुपए मिलने की बात कबूल रहा है। यह गड़बड़झाला तरदा से हरदीबाजार बायपास निर्माण के लिए भू-अर्जन में हुआ है। अधिग्रहण में आने वाली जमीन आदिवासी मालिकों की थी तो इनकी ऐसे बेनामी रजिस्ट्रियां कराई गई ताकि इनका मोटा माल हथियाया जा सके।
जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी का मामला उजागर होने पर जिला प्रशासन ने कोतवाली थाने में धोखाधड़ी और साजिश रचने का केस दर्ज करावाया है। लेकिन साजिश किसने और क्यों रची, यह अभी एफआईआर में स्पष्ट नहीं है।

रजिस्ट्री के 8 महीने बाद पता चला जमीन कौन सी है
कृपाल ने बताया कि रजिस्ट्री होने तक उसे मालू नहीं था कि उसकी जमीन कौन सी है। रजिस्ट्री के 8 महीने बाद जब वह गांव पहुंचा तब मालूम हुआ कि कौन सी जमीन उसके नाम पर है। उसने ये भी खुलासा किया कि जिससे जमीन खरीदी है उसने बताया कि पहले बाइपास दूसरी तरफ से गुजरने वाली था। बाद में उसकी जमीन को प्रस्तावित सड़क के दायरे में लाया गया।

यह है बेनामी संपत्ति अधिनियिम
बेनामी संपत्ति लेन-देन कानून 1988 के अंतर्गत बेनामी लेनदेन करने वाले को 3 से 7 साल की जेल और उस प्रॉपर्टी की बाजार कीमत पर 25 फीसदी जुर्माने का प्रावधान है। इनके अलावा अगर कोई ये सिद्ध नहीं कर पाया कि ये संपत्ति उसकी है तो सरकार द्वारा वह संपत्ति जब्त भी की जा सकती है।

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दो भाईयों के नाम 36 रजिस्ट्र्रियां
गेवराबस्ती का रहने वाला बिंझवार परिवार के दो भाईयों के नाम पर कुल 36 रजिस्ट्रियां हुई। इसमें बड़ा कृपाल बिंझवार और छोटा गणेश बिंझवार है। कृपाल कपड़े सिलने का काम करता है, गणेश ट्रक चलाता है। दोनों की स्थिति ऐसी नहीं कि वे एक लाख रुपए भी वर्तमान की स्थिति में दे सकें।

हमे नहीं पता कहां है रजिस्ट्रियां
पत्रिका स्टिंग में कृपाल राम ने बताया कि रजिस्ट्री के पेपर हमको कभी नहीं मिले। न ही हमने कभी पूछा। न कभी नामांतरण के लिए आवेदन किया। नामांतरण के बाद ऋण पुस्तिका तक उन्हीं के पास है।

सबको पता चल गया तो 10 और रजिस्ट्रियां किसी और के नाम
कृपालराम ने बताया कि 36 रजिस्ट्री के बाद हम दोनों को 10 और रजिस्ट्री के लिए बोला गया। लेकिन इतनी अधिक रजिस्ट्री हो गई थी कि गांव मे सबको पता चल जाता तो फंस सकते थे। इसलिए 10 अन्य भू-खंड की रजिस्ट्री किसी और के नाम पर कराई गई।

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मुआवजे के बाद मिलता हिस्सा
डील हुई थी मुआवजा मिलने के बाद बिंझवार भाइयों को हिस्सा दिया जाता। कृपाल ने स्टिंग में खुलासा किया है कि उसे लगा कि दोनों भाई को कम से कम दो-दो लाख रुपए मिलेंगे। इसी लालच में उसने ये काम किया है। कृपालराम का कहना है कि अगर रजिस्ट्री शून्य होती है तो हो जाए। हमने न खरीदा न बेचा।

पत्रिका स्टिंग में हुए कई सनसनीखेज खुलासे
पत्रिका टीम भू-माफियाओं का सहयोगी बनकर गई थी। कृपालसिंह बिंझवार ने एक-एक करके सारा किस्सा सुनाया। कृपालराम से जब पूछा गया कि इतनी जमीन खरीदने के लिए पैसे कहां से आए तो कृपाल ने बताया कि पूरे खानदान ने इतनी रकम नहीं देखी। जमीन खरीदने वालों को बिक्री रकम कब किसने दी, हमें नहीं मालूम।
हमें सिर्फ तिथि व समय बताया जाता था। बाकि प्रक्रिया पहले से पूरी कर ली गई होती थी। सफेद गाड़ी वाले हरदीबजार उप पंजीयक कार्यालय ले जाते थे। वहां रजिस्ट्री करने के बाद छोड़ दिया जाता था।
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