रविवार सुबह लगभग नौ बजे बरकुटा फेस पर पहुंच गए। ठेका कंपनी के काम को बंद कराने के बाद भू- विस्थापितों ने कहा कि यह जमीन उनकी है। कंपनी ने कोयला खनन के लिए शर्तों पर लिया है। इसमें नौकरी, पुनर्वास और मुआवजा आदि शामिल है। लेकिन कंपनी नौकरी तो दूर आउटसोर्सिंग की ठेका कंपनियों में भी खदान से प्रभावित गांव के मजदूरों को रोजगार नहीं दे रही है। भू- विस्थापितों ने कुसमुंडा खदान की बरकुटा फेस पर सुबह नौ बजे दोपहर तक धरना प्रदर्शन और हंगामा किया। लेकिन बातचीत के लिए एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
काम बंद होने से ठेका कंपनी नीलकंठम को आर्थिक नुकसान पहुंचा। तब ठेका कंपनी के अधिकारी बातचीत के लिए मौके पर पहुंचे। उन्होंने खदान से प्रभावित लोगों को काम पर रखने का वादा किया। इसके बाद मामला शांत हुआ। दोपहर लगभग 3.30 बजे भू- विस्थापित धरना प्रदर्शन खत्म कर बरकुटा फेस से बाहर निकले। तब मिट्टी खनन शुरू हुआ। धरना प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में भू- विस्थापित मौजूद थे।