कोरबा

लोकपर्व भोजली को लेकर लोगों में उमंग, उत्साह और उल्लास

छत्तीसगढ़ का लोकपर्व भोजली जिले में उमंग, उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। बच्चे हाथ में तिरंगा लिए और युवती व महिलाएं सिर पर भोजली लेकर शोभायात्रा में शामिल हुईं। भोजली उत्सव पर आस्था के साथ देश भक्ति का जज्बा भी देखने को मिला।

कोरबाAug 13, 2022 / 12:33 pm

Rajesh Kumar kumar

लोकपर्व भोजली को लेकर लोगों में उमंग, उत्साह और उल्लास,लोकपर्व भोजली को लेकर लोगों में उमंग, उत्साह और उल्लास

यह लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। लोकगीत देवी गंगा, देवी गंगा, लहर तुरंगा… के साथ नदी व तालाब ह्यमें भोजली का विसर्जन किया गया। रक्षाबंधन पर्व के दूसरे दिन भोजली उत्सव मनाया गया। शहरी क्षेत्र के पुरानी बस्ती रानी गेट मंदिर में भोजली की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई।

 

श्रद्धालुओं ने भोजली देवी से परिवार के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। बच्चे देश भक्ति का जज्बे के साथ हाथ में तिरंगा लेकर शोभायात्रा का नेतृत्व किया। कर्मा दल च बैंड-बाजा की धुन पर शोभायात्रा निकाली गई। बच्चे, युवती व महिलाएं सिर पर भोजली लेकर शामिल हुए। महिलाओं ने देवी गंगा, देवी गंगा, लहर तुरंगा… के गीत के साथ भोजली पुरानी बस्ती से इतवारी बाजार, मोतीसागर पारा होते हुए हसदेव नदी तट पहुंची। पूजा-अर्चना कर विसर्जन किया गया।


इसी तरह पत्थर्रीपारा से इंदिरा चौक से भोजली शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा आईटीआई चौक होते हुए ढेंगुरनाला पहुंची। भोजली देवी के जयकारे के साथ विसर्जन किया गया। भोजली पर्व पर हसदेव नदी के सर्वमंगला मंदिर, पुरानी बस्ती, इमलीडुग्गू, छठघाट से लेकर छुरी, बालकोनगर, कुसमुंडा, रजगामार, कटघोरा सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के नदी व तालाब में चलह-पहल बनी रही।

 

 

परंपरा अनुसार भोजली विसर्जन के बाद बच्चे, युवक, युवतियां सहित सभी वर्ग के लोगों ने पारंपरिक विधि से मित्रों ने एक-दूसरे को भोजली की बालियां भेंट की। जीवनभर दोस्ती का साथ निभाने का संकल्प लिया और मित्रता का संदेश दिया। बड़े व बुजुर्गो को बालियां भेंटकर आशीर्वाद लिया। भोजली को लेकर शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी उत्साह देखा गया। अलग अलग क्षेत्रों से लोग माथे पर भोजली को उठाए विसर्जन के लिए विसर्जन के लिए पहुंचे थे।

 

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