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मृतक की पत्नी और बहन से लिखवाया इकरारनामा
पंचायत में खुद को अपमानित महसूस करने के बाद बलराम ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना के बाद सरपंच दिलाराम, सचिव राजकुमार कश्यप, पंच रामेश्वर और शोभाराम बलराम के घर पहुंचे थे। परिवार को थाने में सूचना देने से रोका था। परिवार से एक शपथ पत्र पर इकरारनामा तैयार कराया था। इसमें परिवार पर दबाव डालकर लिखवाया था कि खुदकुशी की घटना के लिए दिलाराम, राजकुमार, शोभाराम सहित अन्य लोग दोषी नहीं हैं। बलराम ने अपनी मर्जी से खुदकुशी की। इस इकरारनामा पर सरपंच सचिव और पंचों ने बालराम की पत्नी, बहन, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों का हस्ताक्षर भी कराया था।
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अंतिम संस्कार में भी नहीं हुए थे शामिल
पुलिस को जांच में पता चला है कि इकरारनामा तैयार कराने से पहले सरपंच सचिव ने शर्त मानने पर ही बलराम के अंतिम संस्कार में शामिल होने की बात कही थी। बाद में वादा से पलट गए थे। वे बलराम के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए थे।
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यह है मामला
पुलिस ने बताया कि 27 अगस्त को एक महिला गांव में रहने वाले एक व्यक्ति के घर धान की निदाई करने गई थी। दोपहर को अपने बच्चे को दूध पीलाने के लिए घर लौट रही थी। रास्ते में बलराम की बुरी नीयत महिला पर पड़ी। उसने महिला से छेडख़ानी किया। महिला बलराम को नहीं पहचानती थी। लेकिन उसने घर जाकर अपने पति को छेडख़ानी की जानकारी दी थी। इस बीच 07 सितंबर को महिला अपने पति के साथ ग्राम उड़ता के सप्ताहिक बाजार पहुंची थी। बलराम भी बाजार गया था। महिला ने बलराम को पहचान लिया था। उसने अपने पति को बलराम की हरकतों के बारे बताया। इसपर महिला का पति नाराज हो गया। महिला के रिश्तेदार भी बाजार पहुंचे। बलराम को बाइक पर उठाकर जबरदस्ती अपने घर ले गए। महिला के घर गांव की पंचायत बुलाई गई। इसमें सरपंच सचिव सहित 30 से 40 ग्रामीण शामिल हुए। बैठक में पंचायत ने पीडि़त महिला और उसके परिवार को बलराम की पिटाई करने के लिए कहा था। परिवार की महिलाओं ने चप्पल से पिटाई की थी। हाथ लात और मुक्के से भी बलराम को पीटा गया था। पंचायत ने बलराम पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। देर शाम छोड़ दिया था। घटना के बाद बलराम खुद को अपमानित महसूस कर रहा था। उसने नौ और 10 सितंबर की दरम्यानी रात अपने घर में फांसी लगा ली थी।
हड्डियों को फारेंसिक जांच के लिए भेजा गया
घटना की सूचना पुलिस को दिए बना बलराम की चिता जला दी गई थी। इस बीच मुखबिर से पुलिस को सूचना मिली थी कि पुलिस ने चिता की आग को बुझा दिया था। तब तक 90 फीसदी चिता जल गई थी। हड्डियों को जब्त कर पुलिस ने फारेंसिक जांच के लिए सिम्स बिलासपुर भेज दिया है।