शहर में सिर्फ बहने के लिए ही बरसता है पानी
कोरबा. पिछले मंगलवार को शहर में 12 घंटे में रिकार्डतोड़ 108 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। जून से लेकर अब तक 516 एमएम बारिश हो चुकी है। लेकिन ये बारिश का पानी आखिर जा कहां रहा है। शहर के जलस्त्रोत रिचार्ज ही नहीं हो सके। बारिश हुई और बह गई।शहर में एक दर्जन तालाब सूखे की मार झेल रहे हैं। शहर में इतनी बारिश तो हुई थी कि इन तालाबों को रिचार्ज किया जा सकता था, लेकिन लचर सिस्टम की वजह से ऐसा नहीं हो सका। अधिकांश जगह तालाब तक नाले नहीं जुड़ सके हैं। जहां जुड़े हैं वहां गंदगी की वजह से नाला जाम पड़ा हुआ है। इससे बारिश का पानी हसदेव नदी से होकर बह गया।
तालाबों की सफाई और गहराई करने पर ध्यान नहीं
वहीं कुछ तालाबों की सफाई और गहरीकरण करने पर भी निगम अमले ने ध्यान नहीं दिया। मुड़ापारा तालाब में गंदगी पसरी हुई है। लक्ष्मणबनतालाब सूखा हुआ है। रामसागपारा तालाब में एक बूंद पानी नहीं है। समय रहते अगर नगर निगम द्वारा इन पहलुओं पर ध्यान दिया गया होता। तो निश्चित तौर पर शहर के तालाबों की स्थिति बेहतर होती। तालाब सफाई के लिए शासन ने भी निर्देश दिया था, लेकिन अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया।
15 वार्डों की निस्तारी की समस्या हो सकती थी खत्म
अगर बारिश का पानी जलस्त्रोतों तालाबों व पोखरी तक सहेजा जाता तो निश्वित तौर पर पर 15 वार्डों की एक साल के लिए निरस्तारी की समस्या ही खत्म हो जाती। एक तरफ नगर निगम द्वारा लोगों को नि:शुल्क पानी कनेक्शन दिया जा रहा है, लेकिन बाद में उपयोग के हिसाब से शुल्क भी जमा करना होगा। लोगों में अभी से इसकी चिंता सताने लगी है। अगर निस्तारी की सुविधा तालाबों से मिल जाती तो उन्हें सिर्फ पीने के पानी का ही शुल्क जमा करना होगा। शहरी क्षेत्र केे वार्डों में 15 तालाब है जिसके भरने की उम्मीद लोगोंं को थी।
छतों से बह गया 50 करोड़ लीटर पानी, तीन दिन की जरूरत कर सकता था पूरी
छतों से लगभग 50 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बह गया। यह पानी शहर की तीन दिन की जरूरत पूरी कर सकता था। अधूरे वाटर हार्वेस्टिंग ने प्रशासन के छानी के पानी घर मं अभियान को फेल कर दिया।
भूजल संकट से जूझ रहे शहरवासियों की छतों से पिछले एक सप्ताह से करोड़ों लीटर पानी बह गया। मानसून की बारिश को शहरवासी सहेज नहीं सके। शहर के कई कॉलोनी , मोहल्ले भूजल संकट से जूझ रहे हैं। गर्मी के समय स्तर और भी नीचें चला जाता है। अंधाधून मोटर से पानी खींचने की वजह से कई इलाके ड्राई होने के कगार पर है। कई इलाके सिर्फ बोरिंग के ही भरोसे हें। प्रशासन ने इस संकट को देखते हुए छानी के पानी घर मं अभियान शुरू किया था। शहर से लेकर गांव तक वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के निर्देश दिए गए थे। कुछ दिनों तक यह अभियान चला। उसके बाद अब अधिकांश जगह वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बन सके हैं। कई जगह काम शुरू हुआ तो कुछ जगह अभी काम तक शुरू नहीं हो सका है।
-किस निकाय में कितना निर्माण हुए अब तक
(निकाय सरकारी भवन निजी भवन)
-1513 सरकारी भवनों में भी नहीं बना सिस्टम
512 निजी मकानों में निगम बना रहा हार्वेस्टिंग सिस्टम
10 साल में भवन की अनुमति देते समय 659 लोगों से 21 लाख रुपए जमा कराया गया था। जिसमें से 147 लोगों ने सिस्टम बनाने के बाद अपनी राशि वापस ले ली। अब बचे 512 मकानों में निगम स्वयं यहां सिस्टम बनवा रहा है। यह अभी पूरी नहीं हो पायी है। इन लोगों को पेनाल्टी नहीं देनी पड़ेगी। लेकिन पुराने मकान बनाने वाले लोगों को अपने घर में सिस्टम बनाने का प्रमाण देना होगा।