उरगा थाना में मर्ग कायम कर पुलिस जांच कर रही थी। प्रारंभिक तौर पर उपनिरीक्षक राजेश तिवारी ने जांच किया। उनके सामने उत्तरा और उनके परिवार के सदस्यों ने बयान दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने जांच की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कोई कार्रवाई नहीं की।
दो साल बाद उरगा थाना में तैनात सहायक उपनिरीक्षक आरएल डहरिया ने वरिष्ट अधिकारियों की सहमति से केस दोबारा खोल दिया। 21 अक्टूबर की शाम पांच बजे शिक्षक उत्तरा और उनके पुत्र वैभव भारती सहित आठ लोगों को थाना बुलाया। सभी आठ लोगों को थाना में चार घंटे तक बैठाकर रखा गया। उत्तरा को बताया गया कि उसके पुत्र पप्पू पर 302 (हत्या) का केस बनता है। वह जेल जाएगा। परिवार बर्बाद हो जाएगा। यह सुनकर उत्तरा परेशान हो गए।
जांच चल रही थी कि 15 और 16 नवंबर को फिर से उत्तरा और अन्य लोगों को थाना बुलाया गया। बड़े साहब के रुम में पेश किया गया। वैभव टंडन, जितेन्द्र उर्फ पप्पू को थाने में आरोपी वाली बेंच पर बैठा दिया गया। 16 नवंबर को पुलिस ने एक पंचनामा तैयार किया। इसमें पप्पू को जेल भेजने की बात लिखी गई थी। यह देखकर परिवार डर गया। परिवार पैसा देने के लिए सोचने लगा। उप निरीक्षण डहरिया ने पप्पू को आरोपी बनाने के बदले में चार लाख रुपए की मांग किया।
उरगा थाना में पदस्थ उप निरीक्षक आरएल डहरिया के द्वारा करीब दो वर्ष पुराने घटना में रिमांड पर भेजने की धमकी देकर दो लाख रुपए की मांग कर प्रताड़ित किए जाने की सूचना मिली है। डहरिया को लाइन अटैच कर दिया गया है। जांच के आदेश दिए गए हैं। सीएसपी योगेश साहू को जांच अधिकारी बनाया गया है। सभी पहलुओं पर विस्तृत जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया है। तथ्यों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– भोजराम पटेल
एसपी, कोरबा