दिसंबर से जनवरी तक देश भर के एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर सर्वे कराया गया था। जिसमें उन शहरों में रोजाना होने वाली सफाई, उसके उठाव, निष्पादन, सार्वजनिक व निजी शौचालय के निर्माण से लेकर उपयोग पर दिल्ली की टीम ने तीन दिन सर्वेक्षण कर अपने साथ रिपोर्ट लेकर गई थी। जिसके परिणाम की घोषणा बुधवार को की गई। कोरबा निगम इस बार कुछ खास नहीं कर सका। कोरबा को देश भर में 65वां स्थान दिया गया है। जबकि 2018 मेें कोरबा 37वें स्थान पर था। प्रदेश में भी कोरबा शहर तीसरे से 9वें पर पहुंच गया है। दोनों ही स्तर पर कोरबा शहर इस बार पिछड़ गया है।
पिछली बार से 122 अंक अधिक मिले, सर्वेक्षण में भी अधिक अंक, लेकिन फिर भी पिछड़ गए
पिछली बार की तुलना में इस बार अधिक अंक मिले। 2018 में कुल 4 हजार अंक में कोरबा को 2989 अंक मिले थे। इस बार 5 हजार में कोरबा निगम को 3111 अंक मिले। 122 अंक अधिक मिलने के बाद कोरबा शहर इस बार पिछड़ गया। शहर में सर्वेक्षण करने वाली टीम ने पिछली बार कोरबा को 1126 अंक दिए थे। इस बार टीम ने 1148 अंक दिए। लेकिन फीडबैक में इस बार 259 अंक कम मिले। कोरबा निगम को भले पिछली बार से 122 अंक अधिक मिले। लेकिन अन्य निकायों को कोरबा की तुलना में अधिक अंक मिले। इसलिए
0निचली बस्तियों की सफाई नहीं के बराबर हो रही है। सबसे पहले इन बस्तियों की सफाई पर ध्यान देना होगा। रोज सफाई हो और कचरे का उठाव की व्यवस्था की जाएं।
0डोर टू डोर कचरा उठाने की व्यवस्था की बात कही जा रही है पर वास्तविक स्थिति ये है की मुख्य मार्गों के आलावा आंतरिक गलियों तक अमला पहुंच ही नहीं पाता।
0शहर की सड़के धुल से सराबोर है, जबकि निगम के पास पर्याप्त मशीेनें भी है उसके बाद भी सफाई नहीं होती। वीआईपी सड़कों से लेकर आंतरीक सड़कों को चकाचक करने ध्यान देेना होगा।
0स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी लोगों में सफाई को लेकर जागरूकता नहीं है। ऐसे में पूर्णत: सफाई का दावा कर पाना मुश्किल होगा।
-रैंकिंग में कोरबा जरूर पिछली बार की तुलना में पिछड़ा है। लेकिन अंक पहले की अपेक्षा अधिक मिले हैं। लेकिन हमारी तुलना मेंं अन्य शहरों को अधिक अंक मिले। इसलिए हम पिछड़े। कहां कमी रह गई। इसकी समीक्षा कर फिर से तैयारी की जाएगी।
-संजय तिवारी, वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक, कोरबा निगम।