चालू वित्तीय वर्ष में उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कार्य योजना बनाई है। मुख्य रूप से 15 बिन्दुओं पर कार्य करने का निर्णय लिया गया है। इसमें ग्रे हाइड्रोजन, कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) का पुनर्गठन। कोयला खनन के लिए मशीनों और मात्रात्मक मापदंडों की बेंचमार्किंग (आउटपुट प्रति घंटा/प्रति मशीन), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की खानों की आउटसोर्सिंग, कोयला व्यापार मंच का गठन, कोयले के लिए नियामक तंत्र, प्रशिक्षण, कोयला क्षेत्र का कॉर्पोरेट पुनर्गठन (सीपीएसई), गुणवत्ता संबंधी समस्याओं को दूर करना, लिग्नाइट गैसीकरण, कोकिंग कोल रणनीति, कोयला मूल्य निर्धारण सुधार आदि बिन्दुओं को शामिल किया गया।
लगातार दूसरी बार एजेंड़ा
यह दूसरी बार है कि जब पूरे वर्ष के लिए एक एजेंडा किया गया है। इसकी प्रति कोल मंत्रालय, कोल इंडिया और इसकी सभी सहयोगी कंपनियों को प्रदान किया गया है। अधिकारियों को एजेंडा पर काम करने के लिए कहा गया है। इसकी नियमित निगरानी और मूल्यांकन की जिम्मेदारी तय की गई है।
नई तकनीक के उपयोग पर जोर
कोयला खनन बढ़ाने के लिए कोल इंडिया खदानों में नई तकनीक का इस्तेमाल करेगी। बैठक में कोयला क्षेत्र की मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए दशा दिशा भी दी गई है। कोयला मंत्रालय द्वारा 2020-21 में उत्पादन 45 मिलियन टन से बढ़ाकर 2029-30 तक 140 मिलियन टन करने के लिए कोकिंग कोल मिशन शुरू किया गया था। इसमें सीआईएल से 105 मिलियन टन शामिल है।