scriptवीडियो में देखिए ग्रामीणों में हाथियों का खौफ, शाम होते ही छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर करने लगते हैं पलायन | See the fear of elephants in the villagers in the video | Patrika News

वीडियो में देखिए ग्रामीणों में हाथियों का खौफ, शाम होते ही छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर करने लगते हैं पलायन

locationकोरबाPublished: Feb 09, 2020 12:31:06 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Elephant Attack : विभाग से रात गुजारने ग्रामीणों ने की बेहतर विकल्प की मांग, दहशत के बीच रात गुजारने को मजबूर हैं ग्रामीण, आधा दर्जन से अधिक गांव में हाथी मचा रहे उत्पात

वीडियो में देखिए ग्रामीणों में हाथियों का खौफ, शाम होते ही छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर करने लगते हैं पलायन

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कोरबा. शाम के सात बजे थे। गांव बरहाडांड। सिर पर चावल की बोरियां, गोद में बच्चे भी। पूरी बस्ती पलायन कर कमाने किसी दूसरे शहर नहीं ब्लकि जान बचाने पास के गांव जा रहे थे। आंखों में साफ तौर पर हाथियों की दहशत दिखाई पड़ रही थी। जान बचाने लोग कंपकंपाती ठंड मेंं घर छोड़कर दूसरे के घर की छत पर पनाह ले रहे हैं। छत वाले जितने भी घर हैं उन घरों के पीछे सीढ़ी लगी होती है। दहशत के बीच लोग रात गुजार रहे हैं।
कटघोरा वनमंडल के एतमानगर रेंज मेें पिछले एक माह से हाथियों ने जिस तरह उत्पात मचाया है उससे एक दर्जन गांव के लोगों के बीच दहशत व्याप्त हो गया है। दरअसल हर दूसरे दिन गांव के बीच घुसकर उत्पात मचाने की वजह से लोग अब घर के बाद गांव छोडऩे मजबूर हो गए हैं। पिछले सप्ताह तीन लोगों पर लोनर हाथी के हमले की वजह से लोग अब अकेले गांव में नहीं रहना चाहते।
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सूरज ढलते ही लोग अपना समान बांधने लगते हैं। सात बजे तक खाना खाकर लोग समूह मेें एक साथ दूसरे गांव या फिर बस्ती के लिए रवाना हो जाते हैं। रास्ते में पुरुष वर्ग अगुवाई करते हैं। मशाल के साथ दूसरे गांव पहुंचकर पनाह लेते हैं। ये किसी एक गांव का नहीं ब्लकि आधा दर्जन गांव की रोज की दिक्कत बन गई है।
इस गांव से लगे सलिहाभाठा, भर्राकुड़ा, दमाउमुड़ा और पचरा समेत अन्य में लोगों का पिछले कुछ दिनों से रात काटना मुश्किल हो गया है। दरअसल दिनभर हाथी जंगल या फिर पहाड़ क्षेत्र में रहते हैं। शाम होते ही गांव के करीब पहुंचकर हाथी उत्पात मचाने लगते हैं। इसी वजह से शाम होते हुए ग्रामीण घर व गांव छोड़कर बाहर चले जाते हैं। यह प्रक्रिया कई दिनों से जारी है।
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घर छोडऩे के अलावा दूसरा विकल्प नहीं
ग्रामीण महिला शांतिबाई ने बताया कि घर छोडऩे के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। अधिकारी कहते हैं पूरी सुरक्षा दी जाएगी, लेकिन जब हाथी गांव में घुसते हैं तब उन्हें ही अपनी जान बचानी पड़ती है। लोगों की मांग है कि कम से कम रात में रहने के लिए बेहतर विकल्प विभाग को देना चाहिए। जिससे रात में ठंड से लोगों की तबीयत खराब ना हो।

सुबह आठ बजे के बाद वापस लौटते हैं लोग
ग्रामीण सुखलाल ने बताया कि सुबह कुछ लोग गांव जाते हैं। जहां वन विभाग की टीम से जानकारी लेने के बाद सभी ग्रामीण सुबह वापस गांव लौटते हैं। कई बार ऐसी भी स्थिति बन चुकी है जब सुबह तक भी हाथी उसी गांव के आसपास उत्पात मचाते रहते हैं। इस वजह से लोगों को अब ज्यादा ऐहतिहात बरतने लगे हैं।

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बुजुर्ग ग्रामीण सीढ़ी से ऊपर नहीं चढ़ पा रहे
बुजुर्ग ग्रामीण सीढ़ी से घर की छत पर नहीं चढ़ पा रहे हैं। कुछ लोग किसी तरह चढऩे में सफल हो जा रहे हैं। तो कुछ उसी बस्ती के घर के दूसरे हिस्से में पनाह ले रहे हैं। गांव से दूसरे गांव या बस्ती आने-जाने में भी बुजुर्गों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। ग्रामीणों की मांग है कि इसके लिए वन विभाग आवागमन की सुविधा दे।

तीन दिन बारिश में तीरपाल के सहारे जागते रहे ग्रामीण
बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से लोगों को और भी परेशानी हुई। छत पर ग्रामीण नहीं सो सके। फर्श गीला होने की वजह से एक ही जगह पर तंबू के नीचे छिपे रहे। छोटे-छोटे बच्चों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। इधर ठंड भी अधिक बढऩे की वजह से लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है।

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