घर छोडऩे के अलावा दूसरा विकल्प नहीं
ग्रामीण महिला शांतिबाई ने बताया कि घर छोडऩे के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। अधिकारी कहते हैं पूरी सुरक्षा दी जाएगी, लेकिन जब हाथी गांव में घुसते हैं तब उन्हें ही अपनी जान बचानी पड़ती है। लोगों की मांग है कि कम से कम रात में रहने के लिए बेहतर विकल्प विभाग को देना चाहिए। जिससे रात में ठंड से लोगों की तबीयत खराब ना हो।
सुबह आठ बजे के बाद वापस लौटते हैं लोग
ग्रामीण सुखलाल ने बताया कि सुबह कुछ लोग गांव जाते हैं। जहां वन विभाग की टीम से जानकारी लेने के बाद सभी ग्रामीण सुबह वापस गांव लौटते हैं। कई बार ऐसी भी स्थिति बन चुकी है जब सुबह तक भी हाथी उसी गांव के आसपास उत्पात मचाते रहते हैं। इस वजह से लोगों को अब ज्यादा ऐहतिहात बरतने लगे हैं।
बुजुर्ग ग्रामीण सीढ़ी से ऊपर नहीं चढ़ पा रहे
बुजुर्ग ग्रामीण सीढ़ी से घर की छत पर नहीं चढ़ पा रहे हैं। कुछ लोग किसी तरह चढऩे में सफल हो जा रहे हैं। तो कुछ उसी बस्ती के घर के दूसरे हिस्से में पनाह ले रहे हैं। गांव से दूसरे गांव या बस्ती आने-जाने में भी बुजुर्गों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। ग्रामीणों की मांग है कि इसके लिए वन विभाग आवागमन की सुविधा दे।
तीन दिन बारिश में तीरपाल के सहारे जागते रहे ग्रामीण
बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से लोगों को और भी परेशानी हुई। छत पर ग्रामीण नहीं सो सके। फर्श गीला होने की वजह से एक ही जगह पर तंबू के नीचे छिपे रहे। छोटे-छोटे बच्चों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। इधर ठंड भी अधिक बढऩे की वजह से लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है।