अमरनाथ अग्रवाल ने एक शिकायत की कि एक अधिकारी की पत्नी जो कि निगम में उपअभियंता के पद पर है, जो कि सौ फीसदी विकलांग है। महिला अधिकारी कार्यालय में आए बगैर वेतन ले रही हैं। इस पर आयुक्त ने भी साफ लफ्जों में कह दिया कि इस तरह इतने लोगों के बीच किसी महिला अधिकारी जो कि विकलांग है। उसका नाम लेना अनुचित है। अगर कहीं कोई गड़बड़ी चल रही होगी तो उस पर कार्रवाई होगी। इस बात पर पार्षद अग्रवाल भड़क गए। इस पर आयुक्त ने साफ कह दिया। यहां शासन से निर्धारित जो भी काम वही होगा। कहीं कोई काम गड़बड़ी या नियम के खिलाफ नहीं होगा।
आयुक्त ने कहा मिलने के लिए पर्ची भेजना तो पड़ेगा
बैठक में बीजेपी पार्षद लक्ष्मीकांत जगत ने आयुक्त से कहा पिछले १५ साल में कभी भी आयुक्त से मिलने के लिए पर्ची भेजने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन अब बिना पर्ची के नहीं मिलने दिया जाता। इस पर आयुक्त ने कहा मैं भी अपने वरिष्ठ लोगों से मिलने के लिए पर्ची भेजता हूं, पर्ची भेजने से कोई छोटा-बड़ा नहीं हो जाता। इसलिए मिलने के लिए पर्ची जो जरूरी है। इसके बाद जब मामला तुल पकडऩे लगा तो आयुक्त ने सभी पार्षदों से कहा कि मैं सबकी बात सुन रहा हूं, मैं बिना टशन के काम चाहता हूं, शहर में महापौर कांग्रेस की नहीं जनता की है। जनप्रतिनिधि सबका होता है। सभी सहयोग के साथ काम करें।
[typography_font:18pt;” >विपक्षी पार्षदों में में दो फाड़, अलग-थलग दिखे
फिर से एक बार फिर विपक्षी पार्षदों में दो फाड़ देखने को मिला। कई बार तो पार्षद आपस में उलझते भी नजर आएं। घेराव के एजेंडे से निर्दलीय पार्षद बाहर जाते दिखें। इसपर भाजपाई पार्षद कई बार रोकने की कोशिश किए। इसी तरह कुछ पार्षदों के साथ आयुक्त की अलग बैठक में निष्कर्ष निकलने के बाद भी निर्दलीय पार्षद बैठकर नारेबाजी करते रहे। निर्दलीय पार्षदों को बीजेपी पार्षदों का अलग से बैठक नागवार गुजरा।