कोरबा

प्रशासन का भय नहीं, शहर को राख से पाटने पर आमादा है ठेका कंपनी

प्रशासन की नाक के नीचे ठेका कंपनी शहर को राख से पाटने पर आमादा है। 16 दिसंबर को रिस्दा में चक्काजाम के बाद राखड़ हटाने की सहमति बनी थी। राखड़ हटाना तो दूर बीते १५ दिन में कई मीट्रिक टन राखड़ और पाट दिया गया।

कोरबाJan 14, 2022 / 05:59 pm

Rajesh Kumar kumar

Fly ash

ब्लैक स्मिथ कॉरपोरेशन माइनिंग एंड अलाईड प्राइवेट लिमिटेड को नौ जुलाई को ग्राम रिस्दा के अलग-अलग खसरे की जमीन पर राखड़ पाटने के लिए एसडीएम ने अनुमति दी थी। तब से राखड़ पाटा जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत थी कि जिस जगह पर राखड़ पाटने की अनुमति मिली है उसके अतिरिक्त और भी जमीन में राखड़ पाटा जा रहा है। आसपास दोनों तरफ बस्ती होने की वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है।

 


आक्रोशित लोगों ने 16 दिसंबर को रिस्दा में चक्काजाम कर दिया था। त्रिपक्षीय वार्ता में बालको प्रबंधन और तहसीलदार के समक्ष निर्णय लिया गया था कि राखड़ हटा लिया जाएगा। लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े इसके लिए लिखित आश्वासन दिया गया था। तब दो से तीन दिन काम बंद रखा गया था। इसके बाद धड़ल्ले से राखड़ पाटने का काम फिर से शुरु कर दिया गया है। इन 15 दिनों में कई मीट्रिक टन राखड़ और पाटकर समतलीकरण किया जा रहा है। हरे-भरे पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

वन भूमि ने तीन बार किया सर्वे, हर बार अधिक भू भाग पर राखड़ पाटने की पुष्टि
बीते 20 दिनों में वन भूमि ने इस जगह पर तीन बार सर्वे किया है। जानकारी के मुताबिक हर बार अधिक भू भाग पर राखड़ पाटने की पुष्टि हो रही है। एक-दो दिन में फाइनल रिपोर्ट बनने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। हालांकि जब तक रिपोर्ट बनेगी तब तक और भी जमीन पर कब्जा हो जाएगा। वन भूमि ब्लैक स्मिथ के कार्यों पर तत्काल रोक लगाने की कार्रवाई नहीं कर रहा है।

 


कितने एरिया में राखड़ पाटना है, मार्किंग नहीं, चल रही मनमानी
राखड़ कितने एरिया में पाटा जाना है। इसकी मार्किंग नहीं की गई है। जबकि एक तरफ नजूल की जमीन तो दूसरी तरफ वन भूमि है। लोगों की शिकायत है कि राखड़ पाटने की आड़ में दोनों तरफ की जमीन पर कब्जा करने की रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। यही वजह है कि निर्धारित से अधिक जगहों पर राखड़ पाट दिया गया है।

हर विभाग एक दूसरे पर थोप रहे जिम्मा
राखड़ पाटने में चल रही मनमानी को लेकर हर विभाग एक दूसरे पर जिम्मा थोप रहे हैं। पर्यावरण विभाग का कहना है कि वन भूमि में अगर राखड़ डाला जा रहा है तो वन विभाग का मामला है। वहीं राजस्व विभाग मौके पर जाकर इसकी तस्दीक नहीं कर रहा है कि कितने क्षेत्र में राखड़ पाटने की अनुमति दी गई थी और कितने में राखड़ पटा है कि नहीं।

ग्रीन बेल्ट को भी नहीं बख्शा जा रहा
ग्रीन बेल्ट में भी राखड़ पाटने से ब्लैक स्मिथ बाज नहीं आ रहा है। जिस जगह पर राखड़ पाटा जा रहा है। उससे लगा हुआ वन भूमि है। जिसे भी छोड़ा नहीं जा रहा है। देखते ही देखते बड़े वन भूमि पर राखड़ पाटकर समतलीकरण कर दिया गया है। प्रतिबंधित हैवी मशीनरी का उपयोग वन भूमि में किया जा रहा है।

लिखित आश्वासन का कितना पालन, अफसर नहीं कर रहे तस्दीक
वार्ड पार्षद अजय गोंड ने बताया कि चक्काजाम के बाद लिखित आश्वासन दिया गया था कि जो राखड़ नियम विरूद्ध पाटा गया है उसे 10 दिन के अंदर हटा लिया जाएगा। वहीं राखड़ पर पानी का छिड़काव किया जाएगा। ऊपर मिट्टी की फिलिंग भी की जाएगी, लेकिन अब तक किसी भी आश्वासन पर काम नहीं हुआ है। तहसीलदार और एसडीएम मौके पर जाकर इसकी तस्दीक भी नहीं कर रहे हैं।

 

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