गाड़ी विमल कंपनी की बताई जा रही है। इसका नंबर 1045 है। इसे एसईसीएल ने खरीदा है। इसपर 100 टन कोयले का परिवहन किया जाता है।
दो माह में छह घटनाएं फिर भी लापरवाही– तीन माह के भीतर गेवरा खदान में आगजनी की यह छठवीं है। इसके पहले भी विमल कंपनी की डंपर में कई बार आग चुकी है। कारण का स्पष्ट नहीं है। लेकिन गाडिय़ों के मेंटेनेंस में बरती जा रही लापरवाही को बड़ा कारण माना जा रहा है।
27 जुलाई को भी लगी थी आग– इसके पहले 27 जुलाई को गेवरा खदान में विमल कंपनी की डंपर में आग लगी थी। इसमें चालक हेतराम ने कूदकर जान बचाई थी। जान बचाने की हड़बड़ी में चालक का पैर टूट गया था। इसकी डंपर की क्षमता भी 100 टन थी। आगजनी की यह घटना भी 11 बजे के करीब हुई थी।
ग्रेडर मशीन में लगी आग- 03 जून की रात लगभग एक बजे गेवरा खदान में खड़ी ग्रेडर मशीन में लगा लग गई थी। मशीन के ऑपरेटर ने कूद कर जान बचाई थी। घटना के दिन ग्रेडर मशीन सावेल के पास चल रही थी। इसबीच आग लग गई। मशीन पूरी तरह जलकर राख हो गई थी। इससे प्रबंधन को लाखों रुपए का नुकसान हुआ था। खदान में हो रही आए दिन दुर्घटनाओं से श्रमिक भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।