scriptचलती डंपर में फिर लगी आग, हादसा या साजिश रहस्य बरकरार | The fire in dumper accident or conspiracy mystery continues | Patrika News

चलती डंपर में फिर लगी आग, हादसा या साजिश रहस्य बरकरार

locationकोरबाPublished: Aug 13, 2017 06:35:00 pm

Submitted by:

Shiv Singh

एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट में चलती डंपर में फिर एक बार फिर आग लगने से डंपर जलकर राख हो गई।

एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट में चलती डंपर में फिर एक बार फिर आग लगने से डंपर जलकर राख हो गई।

एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट में चलती डंपर में फिर एक बार फिर आग लगने से डंपर जलकर राख हो गई।

कोरबा. एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट में चलती डंपर में फिर एक बार फिर आग लगने से डंपर जलकर राख हो गई। तीन माह के भीतर कंपनी की गाडिय़ोंं में आग लगने की यह छठवीं घटना है। घटना महज हादसा है या इसके पीछे किसी निजी कंपनी की साजिश। इसपर सवाल खड़ा किए जा रहे हैं।
घटना रविवार सुबह करीब 11.30 बजे हुई। ऑपरेटर बृजलाल खदान से डंपर पर कोयला लोड करके स्टॉक की ओर जा रहा था। इसबीच चलती डंपर से आग की लपटे निकलने लगी। ऑपरेटर अपनी जान बचाने के लिए डंपर से कूद गया।
आग पर काबू पाने के लिए दमकल की गाड़ी बलाई गई। जबतक आग पर काबू पाई गई गाड़ी जलकर राख हो गई थी। घटना की जानकारी देते हुए ऑपरेटर ने बताया कि वह गाड़ी लेकर आगे की ओर बढ़ रहा था।तभी गाड़ी से आग की लपटे निकलने लगी।
गाड़ी विमल कंपनी की बताई जा रही है। इसका नंबर 1045 है। इसे एसईसीएल ने खरीदा है। इसपर 100 टन कोयले का परिवहन किया जाता है।

दो माह में छह घटनाएं फिर भी लापरवाही– तीन माह के भीतर गेवरा खदान में आगजनी की यह छठवीं है। इसके पहले भी विमल कंपनी की डंपर में कई बार आग चुकी है। कारण का स्पष्ट नहीं है। लेकिन गाडिय़ों के मेंटेनेंस में बरती जा रही लापरवाही को बड़ा कारण माना जा रहा है।

27 जुलाई को भी लगी थी आग– इसके पहले 27 जुलाई को गेवरा खदान में विमल कंपनी की डंपर में आग लगी थी। इसमें चालक हेतराम ने कूदकर जान बचाई थी। जान बचाने की हड़बड़ी में चालक का पैर टूट गया था। इसकी डंपर की क्षमता भी 100 टन थी। आगजनी की यह घटना भी 11 बजे के करीब हुई थी।

 ग्रेडर मशीन में लगी आग- 03 जून की रात लगभग एक बजे गेवरा खदान में खड़ी ग्रेडर मशीन में लगा लग गई थी। मशीन के ऑपरेटर ने कूद कर जान बचाई थी। घटना के दिन ग्रेडर मशीन सावेल के पास चल रही थी। इसबीच आग लग गई। मशीन पूरी तरह जलकर राख हो गई थी। इससे प्रबंधन को लाखों रुपए का नुकसान हुआ था। खदान में हो रही आए दिन दुर्घटनाओं से श्रमिक भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
मशीनों का जलना साजिश या हादसा– गेवरा खदान क्षेत्र में तीन माह के भीतर छह मशीने में आग लगने की घटना हुई है। क्षेत्र के लोग और कुछ कर्मचारी संगठन साजिश मान रहे हैं।
उनका कहना है कि इसमें कोयले की परिवहन करने वाली एक निजी कंपनी की हाथ हो सकती है। हालांकि प्रबंधन इसपर कुछ बोलने का तैयार नहीं हैं। स्थानीय अफसर जांच की बात कहकर पाला झाड़ रहे हैंं।
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