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कोरबा

आठ साल बाद भी पीजी कॉलेज में तैयार नहीं हो सका टर्फ पिच

केडीसीए को भी बांकीमोंगरा में मिली नाकामीक्रिकेटर्स को तैयार करने के मामले में जिला साबित हो रहा फिसड्डीकेडीसीए को साल भर के लिए मिलता है तीन लाख का फंड

कोरबाApr 17, 2019 / 12:09 pm

Vasudev Yadav

क्रिकेटर्स को तैयार करने के मामले में जिला साबित हो रहा फिसड्डी

आठ साल बाद भी पीजी कॉलेज में तैयार नहीं हो सका टर्फ पिच

कोरबा. गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में आठ साल पहले शुरू हुआ टर्फ पिच का काम अब भी अधूरा है। खनिज न्यास से पांच और पिच को स्वीकृति मिली लेकिन कामयाबी यहां भी नहीं मिली। कोरबा डिस्ट्रक्ट क्रिकेट एसोसिएशन(केडीसीए) ने भी शहर से दूर आउटर में बाकीमोंगरा के मैदान टर्फ विकेट तैयार तो किया लेकिन यह डिस्ट्रिक्ट के मैच कराने लायक भी नहीं बन सका।
पीजी कॉलेज में वर्ष २०११-१२ में यूजीसी से टर्फ पिच, टेनिस कोर्ट, वॉलीबॉल कोर्ट और आउटडोर पवेलियन के निर्माण को स्वीकृति मिली थी। निर्माण के लिए ९.९१ लाख रुपए की स्वीकृति मिली। निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी को बनाया गया था। फंड भी जारी हुआ लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। आठ साल बीत गए लेकिन काम अब भी अधूरा है। के्रकेट के खिलाडिय़ों को मिली तो सिर्फ मायूसी।

खनिज न्यास से मिले ढाई लाख लेकिन यहां भी काम अधूरा
टर्फ पिच के लिए प्रशासन ने खनिज न्यास मद से पीजी कॉलेज में कुल पांच पिच निर्माण को स्वीकृति प्रदान की। पिच के लिए खोदाई का काम अक्टूबर २०१७ में शुरू हुआ। क्रिकेट खिलाडिय़ों के लिए उच्च स्तरीय मैच के लिए टर्फ पिच यहां अब भी निर्माणाधीन है। खनिज न्यास से यहां दो मैच, दो प्रैक्टिस पिच के साथ एक सिमेंट पिच के निर्माण को हरी झंडी मिली। निर्माण एजेंसी आरईएस है। लेकिन निर्माण अब भी जारी है। टर्फ पिच अब भी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो सका है। विडंबना यह है कि आरईएस के पास पिच निर्माण के लिए कोई एक्सपर्ट भी मौजूद नहीं है।

केडीसीए ने भी किया निराश
छत्तीसगढ़ को बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद उम्मीद जगी कि राज्य में क्रिकेट का महौल बनेगा, उच्च स्तर के क्रिकेटर्स यहां से निकलेंगे। लेकिन सालों बाद भी यहां केडीसीए एक अदद टर्फ पिच का निर्माण तक नहीं करा सका है। यह हाल तब है जबकि सी ग्रेड का जिला होने के कारण जिले के क्रिकेट संघ को सीएससीएस से हर दो साल के लिए डेवलपमेंट के नाम पर छह लाख रुपए का फंड नियमित तौर पर मिल रहा है। हाल ही में शहर से दूर आउटर के बांकीमोंगरा क्षेत्र में केडीसीए ने एक टर्फ पिच जरूर तैयार की थी। लेकिन रख-रखाव के अभाव के कारण यह जिला स्तर के मैच कराने लायक भी नहीं है।

सुरक्षा का भी रखना होता है ध्यान
टर्फ पिच बनने के बाद उस पर कोई गड्ढा ना खोदा जाए इसकी खास सावधानी बरतनी होती है। आयोजन के दौरान पोल गाडऩे के लिए अक्सर ऐसा कर दिया जाता है। साथ ही नियमित पानी का छिडक़ाव होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मानक की पिच बनाने में कम से कम 2 साल का समय लग जाता है। हालांकि जिले में ऐसी व्यवस्था नहीं है। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के खेल मैदान में जहां टर्फ पिच का काम चल रहा है उस पर कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ अन्य खिलाड़ी जो किसी न किसी टीम से जुड़े होते हैं ग्राउंड में नियमित अभ्यास करते हैं। फुटबाल, हॉकी खेलने पर टर्फ पिच के ऊपर से खिलाडिय़ों की धमाचौकड़ी होती है। जिसके कारण उसकी पिच की लाइफ घटेगी।

क्यों जरूरी है टर्फ पिच
यदि अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी तैयार करने हैं तो टर्फ पिच सबसे जरूरी है संसाधन है। आमतौर पर देखा जाता है कि अधिकतर मैचेस मैट पर निपटा दिए जाते हैं। लेकिन इससे सबसे बड़ा नुकसान क्रिकेट के खिलाड़ी को होता है। मैट का खिलाड़ी जब उच्च स्तर पर टर्फ विकेट पर खेलता है, तब वह टिक नहीं पाता। उच्च स्तर पर क्रिकेट के सभी मैच टर्फ पिच पर ही होते हैं।

केडीसीए ने बांकीमोंगरा में टर्फ पिच तैयार की थी। लेकिन फिलहाल वह मैचेस के लिए तैयार नहीं है। तब एक्सपर्ट को भी बुलाया गया था।
-जीत सिंह, सह सचिव, केडीसीए

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