2.48 लाख टन डिस्पैच
गेवरा से कोयला का डिस्पेच भी कम हो रहा है। पांच मार्च को गेवरा कोल साइडिंग से दो लाख 48 हजार टन कोयले का डिस्पेच किया गया है। इसमें एक लाख सात हजार टन कोयला सड़क मार्ग से भेजा गया है। 26 रैंक कोयला ट्रेन से बिजली कारखानों को भेजा गया है।
नरइबोध और भठोरा क्षेत्र में ठहराव
गेवरा प्रबंधन खदान का विस्तार ग्राम नरइबोध और भठोरा की जमीन पर करने की तैयारी में है। लेकिन गांव से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए बसाहट की समस्या को अभी भी प्रबंधन दूर नहीं कर सका है। इससे खदान विस्तार का पेंच फंस गया है। एसईसीएल के अफसर जिला प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार नरवा, गरूवा और घुरूवा और बाड़ी को जिस प्रकार से तवज्जो दे रही है, उससे प्रबंधन को जमीन अधिग्रहण करने में पसीना छूट रहा है। जमीन अधिग्रहण की समस्या से गेवरा ही नहीं कुसमुंडा और दीपका भी जूझ रहा है।
उत्पादन में कमी के लिए अंदरूनी कारण भी
गेवरा से उत्पादन में आ रही गिरावट के लिए प्रबंधन के अंदरूनी कारण भी हैं। इसमें मिट्टी खनन में देरी और खदान में चलने वाली मशीनों में मेंटनेंस की कमी भी है। गेवरा में मिट्टी खनन करने वाली निजी कंपनी टारगेट के अनुसार मिट्टी खनन नहीं कर पा रही है। इससे कोयला कम निकल रहा है। स्थानीय स्तर पर खनन में लगी मशीनों को मरम्मत कराकर उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोशिश की जा रही है। साथ ही कंपनी के अफसर मिट्टी उत्खनन में लगी ठेका कंपनी को टारगेट के अनुसार खनन नहीं होने पर कई बार कारण बताओं नोटिस दे चुके हैं।
-चालू वित्तीय वर्ष में कंपनी को जो लक्ष्य मिला है उसे पूरा करने की कोशिश हो रही है। गेवरा, दीपका व कुसमुंडा क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण के कार्यों में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है।
-मिलिंद चहांदे, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल बिलासपुर