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विस्थापितों की एकता, जमीन अधिग्रहण में देरी के कारण टारगेट से पिछड रहा गेवरा

locationकोरबाPublished: Mar 09, 2019 06:18:20 pm

Submitted by:

Rajkumar Shah

अधिग्रहण में देरी से गेवरा अपने उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ता जा रहा

अधिग्रहण में देरी से गेवरा अपने उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ता जा रहा

अधिग्रहण में देरी से गेवरा अपने उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ता जा रहा

कोरबा. भू- विस्थापितों के मांगों की उपेक्षा एसईसीएल मेगा प्रोजेक्ट गेवरा पर भारी पड़ रही है। ग्रामीण विरोध के बीच जमीन अधिग्रहण में देरी से गेवरा अपने उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ता जा रहा है।

खदान में कोयले की कमी होने लगी है। इससे एसईसीएल के अफसरों की चिंता बढ़ गई है। एसईसीएल की सबसे बड़ी मेगा प्रोजेक्ट गेवरा से प्रतिदिन औसत लाख 70 हजार टन कोयला खनन हो रहा है। जबकि लक्ष्य तक पहुंंचने के लिए कंपनी को रोज लगभग दो लाख 90 हजार टन कोयला खनन करना है। चालू वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने गेवरा से 45 मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य रखा है।
अभीतक लगभग 36 मिलियन टन कोयला खनन हुआ है। 45 मिलियन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गेवरा प्रबंधन को प्रतिदिन दो लाख 90 हजार टन कोयला खनन करना होगा। लेकिन प्रबंधन की परेशानी यह है कि किसी भी दिन लक्ष्य हासिल नहीं हो रहा है। बल्कि लक्ष्य से रोज औसत सवा लाख टन कोयला खनन कम हो रहा है। इससे प्रबंधन के अधिकारी परेशान हैं। स्थानीय स्तर पर यह मान रहे है कि इसबार लक्ष्य को हासिल करना बेहद कठिन है। अफसर 45 के बजाए 42 मिलियन कोयला खनन करने पर जोर दे रहे हैं।


2.48 लाख टन डिस्पैच
गेवरा से कोयला का डिस्पेच भी कम हो रहा है। पांच मार्च को गेवरा कोल साइडिंग से दो लाख 48 हजार टन कोयले का डिस्पेच किया गया है। इसमें एक लाख सात हजार टन कोयला सड़क मार्ग से भेजा गया है। 26 रैंक कोयला ट्रेन से बिजली कारखानों को भेजा गया है।


नरइबोध और भठोरा क्षेत्र में ठहराव
गेवरा प्रबंधन खदान का विस्तार ग्राम नरइबोध और भठोरा की जमीन पर करने की तैयारी में है। लेकिन गांव से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए बसाहट की समस्या को अभी भी प्रबंधन दूर नहीं कर सका है। इससे खदान विस्तार का पेंच फंस गया है। एसईसीएल के अफसर जिला प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार नरवा, गरूवा और घुरूवा और बाड़ी को जिस प्रकार से तवज्जो दे रही है, उससे प्रबंधन को जमीन अधिग्रहण करने में पसीना छूट रहा है। जमीन अधिग्रहण की समस्या से गेवरा ही नहीं कुसमुंडा और दीपका भी जूझ रहा है।


उत्पादन में कमी के लिए अंदरूनी कारण भी
गेवरा से उत्पादन में आ रही गिरावट के लिए प्रबंधन के अंदरूनी कारण भी हैं। इसमें मिट्टी खनन में देरी और खदान में चलने वाली मशीनों में मेंटनेंस की कमी भी है। गेवरा में मिट्टी खनन करने वाली निजी कंपनी टारगेट के अनुसार मिट्टी खनन नहीं कर पा रही है। इससे कोयला कम निकल रहा है। स्थानीय स्तर पर खनन में लगी मशीनों को मरम्मत कराकर उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोशिश की जा रही है। साथ ही कंपनी के अफसर मिट्टी उत्खनन में लगी ठेका कंपनी को टारगेट के अनुसार खनन नहीं होने पर कई बार कारण बताओं नोटिस दे चुके हैं।


-चालू वित्तीय वर्ष में कंपनी को जो लक्ष्य मिला है उसे पूरा करने की कोशिश हो रही है। गेवरा, दीपका व कुसमुंडा क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण के कार्यों में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है।
-मिलिंद चहांदे, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल बिलासपुर
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