कुछ जगह प्रत्याशियों को पूरे वार्ड को साधना होगा। तो कहीं सिर्फ एक ही मोहल्ले को साधने से जीत की राह आसान हो जाएगी। वार्डवार प्रत्याशी तय होने से पहले राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं की संख्या के हिसाब से रणनीति तैयार कर रहे थे। तो अब प्रत्याशी और मतदाताओं की संख्या को देखकर रणनीति बना रहे हैं। कई ऐसे वार्ड हैं जहां प्रत्याशियों को सिर्फ ढाई सौ से चार सौ वोट मिलने पर ही जीत हासिल हो जाएगी। तो कई ऐसे भी वार्ड हैं जहां पर प्रत्याशियों को अगर दो हजार वोट भी मिल जाएंगे। तब भी वे जीत नहीं पाएंगे।
ठंड में प्रत्याशी ढूंढ़ रहे छाते, संक्रांति से पहले पतंग का भी टोटा जिन वार्डों में प्रत्याशियों की संख्या अधिक है वहां प्रत्याशी पूरे मोहल्ले के बजाएं सिर्फ अपने ही मोहल्ले को साधने में जुटे हैं। दरअसल कई वार्ड ऐसे हैं जहां गलियों से अधिक प्रत्याशी मैदान में उतर गए हैं। दूसरे गलियों में वोट मिलने के कम आसार है इसे देखते हुए प्रत्याशी अपने क्षेत्र को मजबूत करने में लगे हुए हैं।
एक-एक वोट के लिए होगी जंग
कई ऐसे भी वार्ड हैं जहां वोटरों के साथ-साथ प्रत्याशियों की भी संख्या कम है। इन जगहों पर प्रत्याशियों के बीच एक-एक वेाट के लिए जंग होगी। वार्ड क्रमांक 05, 06, 49, 50, 65 में प्रत्याशी व वोटर दोनों की संख्या कम है ऐसे मेें यहां पर वोटरों को साधन प्रत्याशियों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। इसके आलावा वार्ड क्रमांक 18, 19, 55, 58, 62, 26 सहित अन्य वार्ड में प्रत्याशी सिर्फ तीन है। इसलिए मुकाबला और भी दिलचस्प होगा।
ठेले-गुमटियों के साथ भोजनालय में दिखने लगी चुनावी रंगत, वोटरों को रिझाने बांटा जा रहा गरम समोसा, इडली, दोसा एक-एक घर पहुंचना प्रत्याशियों के लिए बड़ी चुनौती
इधर जिन वार्डों में मतदाता की संख्या अधिक है, लेकिन प्रत्याशी कम है वहां प्रत्याशियों को एक-एक घर पहुंचकर एक-एक वोटर को साधना बड़ी चुनौती साबित होगी। जिन पांच वार्डों में सीधी टक्कर है या फिर त्रिकोणीय मुकाबला है वहां प्रत्याशियों को कम से कम 15 सौ से ढाई हजार वोट जीतने के लिए पाना होगा। प्रचार के ऌऌलिए सिर्फ नौ दिन शेष है।