इसकी जानकारी मिलने के बाद वन अमला मौके पर पहुंचा, लेकिन ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि भालू बीमार या फिर घायल अवस्था में है कि नहीं। इसे स्पष्ट करने में वन विभाग को काफी विलंब हो गया। बाद मे देखा गया कि भालू चलने में असमर्थ है। इसलिए एक जगह से वह बाहर नहीं आ रहा था। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई। भालू को पकड़ने के लिए रेस्कयू टीम को बुलाया गया। रात होने की वजह से टीम नहीं पहुंच सकी। अलसुबह टीम पहुंची। टीम जब भालू के करीब पहुंची तो वह मृत अवस्था में था। भालू को कटघोरा के कसनिया डिपो में लाया गया। जहां देर शाम डॉक्टरों की टीम ने पीएम किया।
रेस्क्यू टीम बिलासपुर से बुलाया गया
बताया जा रहा है कि रेस्क्यू टीम को बिलासपुर से बुलाया गया था। लोहे की जाली समेत पूरी टीम को पहुंचने में देरी हो गई। सुबह आठ बजे मृत भालू को जाली में बंदकर भेजा गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक रात होने की वजह से अधिकारी सुबह होने का इंतजार करते रहे।
सामान्य मौत बताकर पल्ला झाड़ रहा विभाग
भालू के मौत के बाद अब वन अमला सामान्य मौत कहकर पल्ला झाड़ने में लगा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि भालू पहले से बीमार था। उसकी उम्र हो चुकी थी। हालांकि स्पष्ट जानकारी पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।
तत्काल इलाज मिलता तो बच जाती जान
इस मामले में वन विभाग की लापरवाही स्पष्ट तौर पर सामने आई। भालू काफी देर तक बीमार अवस्था में पड़ा हुआ था। वन विभाग ने बीमार होने की पुष्टि भी कर दी थी, लेकिन इलाज शुरु करने में काफी देरी हुई। अगर तत्काल इलाज मिल जाता तो भालू की जान बचाई जा सकती थी।