लेकिन आजकल कोरबा पुलिस महिला विवेचकों की कमी से जूझ रही है। हालत कितने गंभीर है? इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कटघोरा डिविजन में कटघोरा, पाली, पसान और बांगो थाना है। कोरबी चौकी और चैतमा में पुलिस सहायता केन्द्र है। लेकिन पसान, पाली या बागो थाना में बच्चों और महिलाओं से संबंधित अपराध की जांच शुरू करने के लिए कोई महिला विवेचक नहीं है। तीनों थानों में आने वाली महिला और बच्चों से संबंधित शिकायतों को प्रारंभिक जांच के लिए कटघोरा में तैनात एक महिला हवलदार के पास भेजा जाता है। या कटघोरा में महिला हवलदार के अवकाश पर होने से पीड़ित महिला या बच्चे को लेकर पुलिस दर्री डिविजन के थानों से सम्पर्क कर बयान दर्ज कराती है।
बयान दर्ज करने में गुजर जाता है दिनभर का समय
मान लीजिए पसान या बांगो थाना क्षेत्र में किसी महिला से संबंधित दुष्कर्म या छेड़छाड़ की घटना होती है तो वह गांव से चलकर थाना पहुंचती है। थाना में महिला विवेचक नहीं होने से दूसरे स्टॉफ को घटना की जानकारी दी जाती है। थानेदार मोबाइल फोन पर एक महिला विवेचक की तलाश करता है ताकि पीड़ित महिला का कथन या बयान दर्ज कराई जा सके। इसके लिए पुलिस पीड़ित महिला को लेकर उस थाने में पहुंचती है, जहां महिला विवेचक होती है। इस कार्य में कई घंटे का वक्त आने जाने में ही गुजर जाता है। इससे पीड़ित महिला या उसका परिवार मानसिक तौर पर कई बार परेशान होता है।
जांच गंभीरता से हो इसलिए हर थाने में महिला उपनिरीक्षण या सहायक उपनिरीक्षक का होना जरुरी
महिलाओं से संबंधित अपराध की जांच गंभीरता से हो इसके लिए हर थाने में एक महिला उप निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक की पदस्थापना जरुरी है। ताकि महिला विवेचक घटना से संबंधित पूरी जानकारी हासिल कर सके और आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर सके। लेकिन कोरबा जिले में महिला अधिकारियों की कमी बनी हुई है।
जिले में एक भी महिला उप निरीक्षक नहीं
कोरबा जिले में एक भी महिला उप निरीक्षक की पदस्थापना पुलिस मुख्यालय की ओर से नहीं हुई है। कोरबा, दर्री और कटघोरा डिविजन में एक एक सहायक उप निरीक्षकों की तैनाती पुलिस अधीक्षक की ओर से की गई है। इसके अलावा कोरबा जिले में आठ महिला हवलदार हैं। जबकि थानों की संख्या 15 है।
काम का दबाव अधिक, सही तरीके से बयान दर्ज करने में परेशानी
आधी आबादी से संबंधित अपराध की जांच के लिए पुलिस के पास महिला विवेचक नहीं है। जो हैं, उनके पास पहले से केस डायरी अधिक है। इस स्थिति में एक थाने में तैनात महिला विवेचक दूसरे थाने से पहुंची पीड़ित महिलाओं का बयान दर्ज करने से टाल मटोल का रवैया अपनाती है। कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब बयान दर्ज कराने के लिए थानेदार या डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारियों को दखल देना पड़ता है।