पोड़ी सबसे अधिक प्रभावित
ड्राय क्षेत्र पोड़ी उपरोड़ा इस बार पेयजल संकट से सबसे अधिक प्रभावित है। पहाड़ी अंचल होने के कारण हर बार यहां भूजल स्त्रोत सूख जाता है। पोड़ी तहसील में पिछले सीजन में सबसे कम बारिश हुई थी। 12 से 27 मीटर के बीच रहने वाला जलस्तर 18 से 30 मीटर तक पहुंच गया है।
पाली मेेंं आधे में पानी तो कुछ जगह परेशानी
पाली विकासखंड के आधे गांव में पानी जहां पर्याप्त आ पा रहा है तो वहीं आधे से ज्यादा गांव में किल्लत सामने आने लगी है। यहां 12 से 16 मीटर के बीच रहने वाला जलस्तर 18 से 26 तक पहुंच गया है। लेकिन इस बार यहां पानी 130 फीट में पानी मिल रहा है। यहां के सुतर्रा, दर्र्रापारा, बांधाखार, मुढ़ाली, सिरली में पानी के लिए हायतौबा मचने लगी है। यहां भी पिछले बार बारिश कम हुई थी।
शहर में तालाबों का अस्तित्व खत्म, गांवों के तालाबों का बुरा हाल
शहर के तालाबों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है। लगभग 20 तालाब सूखने के कगार पर है। 15 से ज्यादा तालाबों में अतिक्रमण हो चुका है। निगम ने पहले मुड़ापार तालाब और अब पोड़ीबहार तालाब का उन्नयन तो कर दिया। लेकिन तालाब के मुख्य स्वरूप को बेहतर बनाने के लिए काम नहीं किया। यही वजह है कि सभी तालाब का हाल एक जैसा हो चुका है।
पेयजल का औसत स्तर 18 से 24 मीटर
जिले में पेयजल का औसत स्तर 18 से 24 मीटर के आसपास है। कुछ ड्राय क्षेत्र सभी ब्लॉकों में है जहां स्तर इससे भी कम हो जाता है। लिहाजा एहतिहातन तौर पर पानी की समुचित व्यवस्था कराई जाती है। गर्मी में जलस्तर और गिरने की संभावना रहती है। अधिकारियों की ब्लॉकवार जिम्मेदारी दी गई है।
-एस के चंद्रा, कार्यपालन अभियंता, पीएचई