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कोयला मंत्रालय से 6 साल पहले सीएमडी को आई थी चिट्ठी, फिर 294 हेक्टेयर जमीन नियम में फंसी

locationकोरीयाPublished: Oct 20, 2021 07:33:31 pm

Black Diamond City: चिरमिरी में एसइसीएल लीज की जमीन पर आबादी बसाने का मामला, कोल वियरिंग एरिया एक्ट 1957, वन संरक्षण अधिनियम 1980 के नियम में अड़ंगा लगेगा

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बैकुंठपुर/चिरमिरी पोड़ी। काले हीरे की नगरी चिरमिरी की लगातार घटती जनसंख्या को स्थिर रखने, एसइसीएल लीज की बेकार पड़ी जमीन को वापस लेकर आबादी बसाने की योजना पिछले करीब 6 से फाइल में दौड़ रही है।
इतने बरस में कोल मंत्रालय नई दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री, सांसद-विधायक की ओर से चि_ी पत्री इधर-उधर हुई। बावजूद लीज की जमीन वापस लेकर आबादी बसाने की योजना की फाइल नियम-कानून में फंसी पड़ी है।

तत्कालीन महापौर के डोमरु रेड्ड़ी ने 17 अक्टूबर 2015 को कोयला राज्य मंत्री के निज सचिव को पत्र लिखकर लीज की बेकार पड़ी जमीन को लौटाने मांग रखी थी। मामले में कोयला मंत्रालय भारत सरकार के अवर सचिव सुचित कुमार ने 30 अक्टूबर 2015 को एसइसीएल सीएमडी बिलासपुर को पत्र लिखा था।
पत्र में उल्लेख है कि नगर निगम चिरमिरी में कोल इंडिया एसइसीएल को आवंटित लीज एरिया से कोयला उत्पादन हो चुका है। इसे वापस लेकर 40-50 वर्षों से काबिजों को पट्टा देने सहित कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में अंबिकापुर की बैठक में निर्णय लेने के बाद हर जगह से चिट्ठी आने लगी थी।
वहीं सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण अध्यक्ष खेल साय सिंह की अध्यक्षता में 9 अगस्त 2019 को बैठक में निर्णय लिया गया और एसइसीएल जमीन का सीमांकन, अनुपयोगी जमीन को वापस लेकर विकास कार्य कराने निर्देश दिए थे।

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साथ ही तत्कालीन कलक्टर ने वर्ष 2016 में चार सदस्यीय कमेटी गठित कर लीज की जमीन सीमांकन रिपोर्ट मांगी थी। करीब चार साल तक लंबी प्रक्रिया चलने के बाद एसइसीएल चिरमिरी ने कलक्टर को रिपोर्ट सौंपी थी।
एसइसीएल की रिपोर्ट में नियम-कानून का उल्लेख, बेकार पड़ी इतनी जमीन
जानकारी के अनुसार एसइसीएल चिरमिरी ने अगस्त 2019 को कलक्टर को रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें उल्लेख है कि एसइसीएल चिरमिरी कुरासिया के-2 रकबा 5.046 हेक्टेयर, के-5 रकबा 4.780 हेक्टेयर जमीन वन विभाग छत्तीसगढ़ को हस्तांतरित किया जा सकता है।
भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अनुमति के बाद वन क्षेत्र में 114 गेल्हापानी कॉलोनी के क्वार्टर को वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत हस्तांतरण किया जा सकता है। चिह्नित भूमि के संबंध में 23 मार्च 2018 को एसइसीएल मुख्यालय बिलासपुर को रिपोर्ट भेजी गई है। फिलहाल मामला साढ़े तीन से प्रक्रियाधीन है।

एसइसीएल के पत्र में यह था उल्लेख
-कोल वियरिंग एरिया एक्ट 1957-अधिग्रहित भूमि समर्पण करने चिह्नित है। जिसे कोयला मंत्रालय के अनुमोदन एक्ट में आवश्यक संशोधन के बिना किसी अन्य उपयोग के लिए हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि एक्ट में शासन या किसी अन्य एजेंसी को भूमि के हस्तांतरण करने कोई प्रावधान नहीं है।

– यह कार्रवाई वन संरक्षण अधिनियम 1980 एवं उसके अधीन नियमों के विभिन्न प्रावधान, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई है। प्रथम चरण स्वीकृति एवं प्रत्याशित अंतिम चरण स्वीकृति में अधिरोपित शर्तों के तहत किया जाना उचित होगा।
-भूमि समर्पण/हस्तांतरण की स्थिति में भूमि व उस पर स्थित संपत्ति के रूप में कंपनी की निवेशित पंजी की वसूली अथवा समर्पण मूल्य के संबंध में एसइसीएल/सीआइएल की नीतिगत निर्णय अपेक्षित है।

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वर्ष 2016 में गठित हुई थी कमेटी
-अमृत लाल धु्रव, तत्कालीन एसडीएम खडग़वां-चिरमिरी।
-मीनाक्षी साहू, तत्कालीन खनिज अधिकारी बैकुंठपुर।
-रुपेश सिंह, तत्कालीन तहसीलदार बैकुंठपुर।
-घनश्याम तंवर, तत्कालीन तहसीलदार खडग़वां।


इस कारण 102 करोड़ के 2262 आवास प्रोजेक्ट लापता!
पूर्व महापौर के डोमरु रेड्डी ने बताया कि मेरे महापौर कार्यकाल में जिनके पास खुद की जमीन नहीं थी। उनके लिए राज्य सरकार के मंत्री, सचिव व डायरेक्टर तक दौड़ भाग कर अपना पक्ष रखा था। मामले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2262 आवास बनाने तत्कालीन कलक्टर नरेन्द्र दुग्गा से 20 एकड़ जमीन आवंटन और 102 करोड़ की स्वीकृति कराई थी।
लेकिन मेरा कार्यकाल खत्म होते ही आश्चर्य की बात है कि स्वीकृत बजट न जाने किस कारणों से 102 करोड़ की स्वीकृत योजना पर क्रियान्वयन नहीं कराया गया। जबकि यह बड़ा प्रोजेक्ट चिरमिरी के स्थायित्व के लिए काफी कारगर योजना साबित होता था।

294 हेक्टेयर भूमि अनुपयोगी
सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में एसइसीएल चिरमिरी की अनुपयोगी जमीन को वापस राज्य शासन को देने को लेकर एक पहल की गई है। इसमें 294 हेक्टेयर अनुपयोगी भूमि चिह्नित की गई थी।
के डोमरु रेड्डी, पूर्व महापौर चिरमिरी

अभी जानकारी नहीं
लीज की जमीन वापस करने के संबंध में विभागीय अधिकारी से जानकारी लेकर बेहतर बता पाउंगा।
घनश्याम सिंह, सीजीएम एसइसीएल चिरमिरी

By Yogesh Chandra/Ayub Ansari

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