आंगनबाड़ी रंगरोगन: छोटी सी रकम थी, इसलिए अनदेखी, पर जिले में 1.07 करोड़ का घोटाला हुआ?
महिला एवं बाल विकास विभाग का मामला, मनेंद्रगढ़ के लिपिक निलंबित, कोरोना महामारी को अवसर बनाया, एक आंगनबाड़ी भवन को पुताई करने ६ हजार रुपए मिले थे।
कोरीया
Published: April 22, 2022 07:45:48 pm
बैकुंठपुर। कोरोना काल में महामारी को अवसर बनाकर भ्रष्टाचार करने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग के लिपिक को निलंबित कर दिया गया है। सिर्फ मनेंद्रगढ़ ब्लॉक में ही आंगनबाड़ी भवनों के रंगरोगन कार्य में भ्रष्टाचार उजगार हुआ है। हालाकि जिले के १७९३ आंगनबाड़ी केंद्रों के रंगरोगन कराने १ करोड़ ७ लाख ५८ हजार बजट मिलने की बात कही जा रही है। हालाकि कुछ केंद्र किराए के भवन में संचालित हैं, जिनकी पुताई नहीं कराई गई थी।
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष २०१९-२० में जिले के १७९३ आंगनबाड़ी भवनों के रंगरोगन कराने एक केंद्र के लिए ६ हजार बजट आवंटन किया था। आवंटित बजट से बच्चों के हिसाब से पुताई करनी थी। जिससे बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में हंसी-खुशी पहुंचे। लेकिन अधिकारी-लिपिक ने मिलीभगत कर चहेते नेताओं को कार्य सौंप दिया था। मनेंद्रगढ़ में ३११ आंगनबाड़ी केंद्र की पुताई कराने करीब १८.६६ लाख राशि मिली थी। वहीं ५४ केंद्र किराए के भव में संचालित हैं। मनेंद्रगढ़ ब्लॉक में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद एसडीएम से जांच कराई गई थी। एसडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर महिला एवं बाल विकास कार्यालय मनेंद्रगढ़ में कार्यरत लिपिक रामऔतार यादव सहायक ग्रेड-2 को निलंबित कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि वर्ष 2019-20 में आंगनबाड़ी भवन पोताई के लिए मिली राशि के विरुद्ध व्यय में छत्तीसगढ़ भण्डार क्रय नियम 2002(संशोधित 2020) के नियमों का पालन नहीं किया गया है। निलंबन अवधि में 3ध्. निलंबन अवधि में श्री राम औतार यादवए सहायक ग्रेड.2 को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता की पात्रता रहेगी। निलंबन अवधि में लिपिक को मुख्यालय कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास बैकुंठपुर अटैच किया गया है।
इतने केंद्रों की पुताई हुई थी
बैकुंठपुर 470 केंद्र
भरतपुर 313 केंद्र
मनेन्द्रगढ़ 335 केंद्र
सोनहत 185 केंद्र
खडग़वां 412 केंद्र
चिरमिरी 78 केंद्र
कुल १७९३ केंद्र
खडग़वां परियोजना में पुताई की शिकायत हुई
खडग़वां। महिला बाल विकास खडग़वां में प्रभारी परियोजना अधिकारी एवं लिपिक के खिलाफ कार्यवाही करने शिकायत पत्र सौंपा गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि महिला बाल विकास परियोजना में सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में आगनबाड़ी केंद्रों की लिपाई-पोताई में भ्रष्टाचार किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों की लिपाई पोताई की लागत राशि करीब पंद्रह लाख थी। जिसमें 250 आगनबाड़ी केंद्रों की लिपाई पोताई करनी थी। एक आगनबाड़ी केंद्र का खर्च 6000 रुपए था। राज्य शासन से जारी आदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों के अंदर-बाहर की लिपाई पोताई करने निर्देश दिए थे। लेकिन प्रभारी परियोजना अधिकारी ने कोरोना काल में जब पूर्ण रूप से 21 मार्च 2020 से २१ दिन तक देश में लॉकडाउन लगाया गया था। उस दौरान लिपाई पोताई कार्य का दस-दस आंगनबाड़ी केंद्रों की लिपाई पोताई का आदेश जारी कर दिया गया था। वहीं परियोजना स्तरीय समिति की लॉकडाउन अवधि में 24 मार्च 2020 को बैठक हुई थी। लॉकडाउन के दौरान 7 अप्रैल 2020 को पोताई का आदेश भी प्रभारी परियोजना अधिकारी एवं लिपिक ने जारी कर दिया। पुताई कराने चहेते 49 पेंटर को अनुमति में हस्ताक्षर कराकर दिया गया था। जबकि इस दौरान किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकलने और आने-जाने की इजाजत नहीं थी। चौक-चौराहे पर पुलिस तैनात थी। बावजूद परियोजना अधिकारी ने समिति के बाहरी सदस्यों को बुलाकर बैठक ली थी।
रंगरोगन में गड़बड़ी हुई थी, उसी समय एसडीएम परियोजना प्रभारी थे
जानकारी के अनुसार आंगनबाड़ी भवनों के रंगरोगन में गड़बड़ी हुई थी। उसी समय अधिकांश एसडीएम परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास प्रभारी के तौर पर कार्यरत थे। मामले में तत्कालीन कलक्टर ने अक्टूबर २०२१ को एसडीएम से प्रभार छीनकर जनपद सीइओ को परियोजना प्रभारी बनाया था। उससे पहले बैकुंठपुर, सोनहत, भरतपुर, मनेन्द्रगढ़, खडग़वां परियोजना में एसडीएम परियोजना प्रभारी के रूप में कार्यरत थे। फिलहा चिरमिरी को छोड़कर सभी परियोजना में जनपद सीइओ और बैकुंठपुर परियोजना में डीपीओ परियोजना प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं।

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