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काजू प्लांटेशन: एक्सपेरिमेंट में 6.21 लाख फूंक डाले, 2.859 हेक्टेयर में लगाए गए पौधे गायब, ठूंठ तक नहीं बचा पाए?

locationकोरीयाPublished: May 27, 2022 07:56:51 pm

Submitted by:

Yogesh Chandra

– वर्ष २०२० में मनेंद्रगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चिरईपानी मनरेगा से पौधरोपण हुआ था, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी बैकुंठपुर ने पौधरोपण कराया था.

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काजू प्लांटेशन: एक्सपेरिमेंट में 6.21 लाख फूंक डाले, 2.859 हेक्टेयर में लगाए गए पौधे गायब, ठूंठ तक नहीं बचा पाए?,काजू प्लांटेशन: एक्सपेरिमेंट में 6.21 लाख फूंक डाले, 2.859 हेक्टेयर में लगाए गए पौधे गायब, ठूंठ तक नहीं बचा पाए?




बैकुंठपुर। उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग की देखरेख में ६.२१ लाख खर्च कर लगाए काजू के पौधे सूख गए हैं। ग्राम चिरईपानी की शासकीय भूमि २.८५९ हेक्टेयर के बगान में दो साल में काजू के पौधे गायब हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार मनेंद्रगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चिरईपानी में २.८५९ हेक्टेयर शासकीय भूमि उपलब्ध कराई गई थी। जिसमें १३ जुलाई २०२० को मनरेगा मद से ६.२१ लाख की स्वीकृति लेकर बड़ी संख्या में काजू के पौधे लगाए गए थे। चिह्नित जमीन की चारों ओर से फेंसिंग कराई गई थी। लेकिन पौधे लगाने के बाद समुचित सिंचाई करना भूल गए और पानी के अभाव में काजू के पौधे सूख गए हैं। क्योंकि काजू बगान के भीतर सिंचाई करने बोर, तालाब या अन्य पानी का कोई साधन उपलब्ध नहीं है। उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी की देखरेख में कोरिया में काजू की खेती करने पहला एक्सपेरिमेंट हुआ था। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण काजू की खेती का एक्सपेरिमेंट फेल हो चुका है। हालाकि उद्यानिकी विभाग को तीन साल में काजू की खेती करना था, लेकिन उदासीन रवैय्ये के कारण दो साल में ही प्रोजेक्ट फ्लॉप हो गया है। फिलहाल प्रोजेक्ट का सही क्रियांवयन करने सिर्फ एक साल बचा है। जिसमें उद्यानिकी विभाग दोबारा काजू के नए पौधे लगवा सकता है।

काजू बगान में पलाश के पेड़ बच गए हैं, प्रोजेक्ट पर एक साल और काम होगा
ग्राम पंचायत चिरईपानी में चिह्नित २.८५९ हेक्टेयर शासकीय जमीन में सिर्फ चारों ओर पलाश के बड़े पेड़ व पौधे बच गए हैं। वहीं काजू बगान परिसर में छोटी-छोटी क्यारी सूखे पड़े हैं। जिसमें काजू के पौधे लगाए जाने थे। बगान में काजू सहित अन्य पौधों की सिंचाई करने समुचित व्यवस्था नहीं है। वहीं दूसरी ओर काजू की खेती के लिए तीन साल समय निर्धारण हुआ था। इस दौरान वर्ष २०२०, २०२१ में लापरवाही के कारण सफलता नहीं मिली है। वहीं अंतिम साल २०२२ में प्रोजेक्ट पर दोबारा काम शुरू होगा। फिर सफलता नहीं मिलने पर प्रोजेक्ट को डंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

एक पेड़ से १२-15 किलो तक उत्पादन लेने की तैयारी थी
जानकारी के अनुसार काजू के एक पेड़ से १२-15 किलो तक उत्पादन हो सकता है। एक एकड़ भूमि पर लगभग 150 पेड़ लग जाते हैं। उस हिसाब से चिरईपानी की चिह्नित जमीन पर १०५० से अधिक काजू के पौधे लगाने की तैयारी थी। पौधे में डालने के लिए मात्र गोबर की खाद का उपयोग होता है। जिसमें 8 से 10 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से गोबर खाद का खर्च आने की बात कही जा रही है।

मुझे ज्वाइन किए महज १० दिन हुए हैं। काजू की खेती के संबंध में स्टाफ से जानकारी लेकर बेहतर बता पाउंगा।
वी त्रिपाठी, सहायक संचालक उद्यानिकी बैकुंठपुर

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