वर्ष 1972 में प्राइवेट कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण होने के बाद वर्ष 1980 तक बड़ी संख्या में कर्मचारियों की भर्ती हुई थी। इससे सिर्फ कॉलरी कर्मचारियों की संख्या 28 हजार और वर्ष 2000 में 26 हजार थी।
8 हजार क्वार्टर खाली, सिर्फ 4 हजार कर्मचारी कार्यरत
एसइसीएल चिरमिरी क्षेत्र में दो दशक पहले 26 हजार कर्मचारी कार्यरत थे। उस समय चिरमिरी में करीब 12 हजार स्टाफ क्वार्टर बनाए गए थे। फिलहाल 8 हजार क्वार्टर खाली और सिर्फ 4 हजार क्वार्टर में कर्मचारी निवासरत हैं।
2016 528
2017 685
2018 499
2019 570
2020 598
2021 560
-अंजनहिल कॉलरी बरतुंगा।
-ओसीपी चिरमिरी कॉलरी।
-कुरासिया कॉलरी।
-पोड़ी वेस्ट चिरमिरी कॉलरी।
-गेल्हापानी कॉलरी।
-कोरिया कॉलरी।
-एनसीपीएच कॉलरी।
-एनसीपीएच कॉलरी।
-कुरासिया कॉलरी।
-ओपन कास्ट प्रोजेक्ट।
-बरतुंगा कॉलरी।
-रानी अटारी(कोरबा जिला)। दो दशक में इतनी खदानें बंद हुईं
-गेल्हापानी नार्थ चिरमिरी कालरी 1 खदान
-कोरिया कॉलरी 2 खदान
-डोमनहिल कॉलरी 2 खदान
-वेस्ट चिरमिरी कॉलरी 3 खदान
-कुरासिया ओपन कास्ट 1 ओसीपी
-अंजनहिल खदान चिरमिरी 1 खदान
-एनसीपीएच हल्दीबाड़ी 3 खदान
294 हेक्टेयर अनुपयोगी जमीन शासन को देने की गई है पहल
सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में एसईसीएल चिरमिरी (SECL Chirimiri) की अनुपयोगी जमीनों को वापस राज्य शासन को देने को लेकर एक पहल की गई है। इसमें 294 हेक्टेयर अनुपयोगी भूमि चिह्नित की गई थी।
के. डोमरु रेड्डी, पूर्व महापौर चिरमिरी
प्रतिमाह हो रही सेवानिवृत्ति
चिरमिरी क्षेत्र से कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति प्रत्येक माह हो रही है। नौकरी में यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो चलती रहती है।
घनश्याम सिंह, महाप्रबंधक एसइसीएल चिरमिरी