गौरतलब है कि ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1923 में यहां बस्ती बसनी शुरु हो गई थी। एनसीडीसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने वर्ष 1928 में कुरासियां कालरी में भूमिगत खदान की नींव रखी थी, जिसे डागा कंपनी के नाम से जानते थे।
तीन बार पड़ चुकी जमीन में भयंकर दरार
1. वर्ष 2008 में पुराने एसईसीएल जीएम कार्यालय के सामने कॉलोनी में जमीन पर दरार पड़ी थी। उस समय 25 क्वार्टर हटाए गए थे।
2. वर्ष 2013 में भारत व इंडियन ऑयल गैस गोदाम के पास आग लगने के कारण जमीन पर दरार पड़ी थी। इससे गोदाम को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया था।
3. 1 फरवरी 2021 को हल्दीबाड़ी वार्ड क्रमांक-12 में संचालित स्टेट बैंक के समीप (महुआ दफाई) में जमीन पर करीब 100 मीटर दरार पड़ गई है। इससे 39 परिवार को अस्थायी रूप से अन्यत्र शिफ्ट किया गया है।
विस्फोट होने की अक्सर आती हैं आवाज
नगर निगम चिरमिरी के 40 वार्डों में करीब 80 हजार लोग निवासरत हैं। एसईसीएल कुरासिया अण्डरग्राउंड माइंस में आग लगने के बाद इसे बंद कर दिया है। लेकिन खदान बंद करते समय सुरक्षा मापदंडों का पालन नहीं किया गया।
1967 में आग लगने से बंद हुई थी खदान
कुरासिया खदान 1967 में आग लगने के कारण बंद हुई थी। आज से लगभग 53 साल पहले ही खदान में डीपलेयरिंग का कार्य हुआ था।
घनश्याम सिंह, महाप्रबंधक एसइसीएल चिरमिरी
पहले भी हुए हैं हादसे, 18-20 मकान धंसे थे
पहले भी ऐसे हादसे हुए हैं। पुराने जीएम कॉम्पलेक्स की कालोनी में लगभग 18-20 घर जमीन में धंस गए थे।
लिंगराज नाहक, क्षेत्रीय महामंत्री एटक चिरमिरी