पत्रिका अखबार ने 4 जुलाई 2018 को ‘समतल जमीन पर तीन पुलिया निर्माण, पानी बहने का रास्ता ही नहीं छोड़ा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें कोरिया वनमण्डल बैकुंठपुर के वनपरिक्षेत्र देवगढ़ ने सोनहत से भैंसवार मार्ग पर ओदारी से पोंड़ी पहुंच मार्ग का निर्माण, मुख्य सड़क के किनारे एक पुलिया का निर्माण, 3 पुलिया और मिटटी सड़क निर्माण की लागत 40.72 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति शामिल थी।
मामले में ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि निर्माण कार्य में जंगल की गिट्टी का भरपूर उपयोग करने, बिना इंजीनियर मनमानी स्थल चयन कर पुलिया निर्माण कराने, नवनिर्मित पुलिया के नीचे बारिश का पानी गुजरने के लिए जगह नही छोड़ी गई है।
वहीं पुलिया के अगल-बगल और आगे-पीछे न कोई नाला और न ही कोई बड़ा गड्ढा होने पर जांच की मांग की थी। मनरेगा लोकपाल ने मामले को संज्ञान में लिया और मौके पर जांच व वन विभाग से पूछताछ की थी।
लोकपाल गोरेलाल राजवाड़े ने मामले की सुनवाई कर निर्णय पारित किया है जिसमें तत्कालीन मूल्यांकन अधिकारी वन क्षेत्राधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा और वन मण्डलाधिकारी बैकुंठपुर को दो महीने के भीतर राज्य रोजगार गारंटी कोष में 12 लाख जमा करने का आदेश दिया गया है।
वहीं राज्य रोजगार गारंटी कोष में राशि जमा नहीं करने पर जीपीएफ व वेतन से हर महीने कटौती कर राशि वसूली करने का उल्लेख किया गया है।
रेंजर सेकराया मूल्यांकन, अब अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा
मनरेगा योजना के तहत सोनहत विकासखंड के सोनहत भैंसवार मार्ग पर ओदारी से पोड़ी पहुंच मार्ग मिट्टी सड़क, मुरूम व तीन नग पुलिया के लिए 40.72 लाख की स्वीकृति मिली थी। वन विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया था। मनरेगा लोकपाल ने जांच में पाया कि मूल्यांकन अधिकारी वन परिक्षेत्राधिकारी को तकनीकी ज्ञान नहीं था।
रेंजर सेकराया मूल्यांकन, अब अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा
मनरेगा योजना के तहत सोनहत विकासखंड के सोनहत भैंसवार मार्ग पर ओदारी से पोड़ी पहुंच मार्ग मिट्टी सड़क, मुरूम व तीन नग पुलिया के लिए 40.72 लाख की स्वीकृति मिली थी। वन विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया था। मनरेगा लोकपाल ने जांच में पाया कि मूल्यांकन अधिकारी वन परिक्षेत्राधिकारी को तकनीकी ज्ञान नहीं था।
बावजूद मूल्यांकन के आधार पर भुगतान करने में लापरवाही बरती गई थी। निर्माण में मजदूरी भुगतान 25 लाख 99 हजार 172 रुपए और सामग्री में 7 लाख 43 हजार 160 रुपए भुगतान किया गया था।
लोकपाल की सख्त टिप्पणी, जांच में सहयोग नहीं करना गंभीर लापरवाही
मनरेगा लोकपाल ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि प्रकरण में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया और न ही जांच में सहयोग ही किया गया है, जो कि गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। वहीं निर्माण एजेंसी द्वारा कार्य में अनियमितता बरतने व गंभीर लापरवाही करना पाया गया है।