विधायक डॉ. जायसवाल व डॉ. रेणु जोगी ने 25 जुलाई को तारांकित प्रश्न क्रमांक 76 में सवाल लगाया था। इसके जवाब में कृषि मंत्री चौबे ने सदन को बताया कि उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग ने वर्ष 2020 में मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के चिरईपानी में ग्राम पंचायत 7.14 हेक्टेयर में काजू के पौधे लगाए हैं।
यह प्रोजेक्ट तीन साल का है और मनरेगा मद से शासकीय भूमि पर काजू पौधरोपण करने 3 लाख 55 हजार 115 रुपए व्यय हुआ है। वर्तमान में 800 काजू के पौधे जीवित हैं और 3-4 साल में फ्रुटिंग शुरू होगी। काजू का व्यवसायिक उत्पादन पौधरोपण के 8-10 साल में होता है।
वहीं विधानसभा में मामला उठने के बाद पत्रिका टीम चिरईपानी काजू बगान पहुंची। जहां बगान में गिनती के पौधे नजर आए। जिसे कुछ महीने पहले ही लगाया गया है। क्योंकि पौधों की ऊंचाई महज 2-3 फीट है और क्यारी देखने से ऐसा लग रहा है, जैसे सप्ताहभर पहले ही पौधे लगाए गए हैं।
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मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिरईपानी में 2.859 हेक्टेयर शासकीय भूमि उपलब्ध कराई गई थी। जिसमें 13 जुलाई 2020 को मनरेगा मद से 6.21 लाख की स्वीकृति लेकर काजू के पौधे (Kashev plants) लगाए गए थे। चिह्नित जमीन की चारों ओर से फेंसिंग कराई गई थी। लेकिन पौधे लगाने के बाद समुचित सिंचाई करना भूल गए और पानी के अभाव में काजू के पौधे सूख गए। काजू बगान के भीतर सिंचाई करने बोर, तालाब या अन्य पानी का कोई साधन उपलब्ध नहीं है।
उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी की देखरेख में कोरिया में काजू की खेती करने पहला एक्सपेरिमेंट हुआ। हालांकि उद्यानिकी विभाग को तीन साल में काजू की खेती करनी थी, लेकिन उदासीन रवैय्ये के कारण दो साल में ही प्रोजेक्ट फ्लॉप साबित हुआ। फिलहाल प्रोजेक्ट का सही क्रियान्वयन करने सिर्फ अंतिम एक साल ही समय बचा है।