13 सितंबर को रिटर्निंग ऑफिसर नायब तहसीलदार भीष्म पटेल की मौजूदगी में ग्राम पंचायत चिरगुड़ा भवन में सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। मतदान प्रक्रिया में सरपंच के खिलाफ में कुल 13 वोट व पक्ष में सिर्फ 3 मत पड़े थे। अविश्वास प्रस्ताव पारित कर महिला सरपंच संगीता सिंह की कुर्सी छीन ली गई थी।
अविश्वास प्रस्ताव में जनपद उपाध्यक्ष आशा साहू की मुख्य भूमिका थी, क्योंकि जनपद उपाध्यक्ष कांग्रेस समर्थित व उनका गृह ग्राम है और सरपंच भाजपा समर्थित होने के कारण पंचायत चुनाव के बाद से ही खींचतान चल रही थी। मामले को महिला सरपंच ने कलक्टर न्यायालय में प्रकरण के निराकरण होने तक रोक लगाने मांग रखी थी।
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कलक्टर न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई कर ग्राम पंचायत चिरगुड़ा द्वारा पारित अविश्वास प्रस्ताव के क्रियान्वयन पर प्रकरण के निराकरण होने तक रोक लगाई है। प्रकरण में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता के माध्यम से सुविधा का संतुलन तर्क प्रस्तुत किया गया। इसे अपीलार्थी के पक्ष में पाया गया।
कांग्रेस नेता पंचायत के कामकाज में करते थे दखल
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत की सरपंच गांव के निर्माण व विकास कार्यों में एक कांग्रेसी नेता का दखल पसंद नहीं करती थी। महिला सरपंच हमेशा विरोध करती थीं।
मामले में नाराज कांग्रेस नेता ने ग्राम पंचायत के पंचों को मिलाकर अविश्वास प्रस्ताव लाया और मान-मनौवल कर भूमिगत हो गए थे। फिर निर्वाचित पंचों को अविश्वास प्रस्ताव के दिन लाया गया था।