बैकुंठपुर. पत्रिका डॉट
काम के टॉपिक ऑफ द डे में शुक्रवार को जिला अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल कचरे की समस्या को लेकर गो रक्षा वाहिनी के सक्रिय सदस्य प्रभाकर सिंह से विशेष बातचीत की गई। उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर से निकलने वाले कचरे को नगर पालिका के एसएलआरएम सेंटर में भेज दिया जाता है। जिससे नगर पालिका के सफाई कर्मचारी कचरे को खुले में छोड़ देते हैं। मेडिकल कचरे में मरीजों के खून से सनी रुई, नुकीली सुइयां, कटे अंग सहित अन्य कचरा रहता है। क्योंकि सफाई कर्मचारियों के पास कचरा छांटने के पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं है। उन्होंने कहा कि एसएलआरएम सेंटर में आवारा मवेशी विचरण करते हैं। उन्होंने कहा कि एसएलआरएम सेंटर में मेडिकल कचरा फेंकने के कारण संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका है। जिससे कई बार मवेशी चोटिल हो जाते हैं और नुकीली सुइयां सहित अन्य कचरे खाने के का मौत होने की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मेडिकल कचरे को लेकर एसडीएम से शिकायत की गई थी। उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर से निकलने वाले कचरे को नगर पालिका के एसएलआरएम सेंटर में भेज दिया जाता है। जिससे नगर पालिका के सफाई कर्मचारी कचरे को खुले में छोड़ देते हैं। जिससे एसडीएम ने अस्पताल परिसर में ही मेडिकल कचरे का सही निपटान करने के निर्देश दिए थे। वहीं राज्य सरकार ने मेडिकल कचरे का सही निपटान करने का प्रावधान किया है। बावजूद अस्पताल प्रबंधन कचरे को बाहर फेंक रहा है। उन्होंने कहा कि एसएलआरएम सेंटर में मेडिकल कचरा फेंकने के कारण संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका है। तथा उन्होंने बताया कि अस्पताल से निकलने वाली कचरा नगर पलिका के एसएलआरएम सेंटर भेज दिया जाता है। क्योंकि नगर पालिका बैकुंठपुर की ३० हजार आबादी को यहीं से स्वच्छत पेयजल की आपूर्ति की जाती है। फिल्टर प्लांट परिसर में एसएलआरएम सेंटर निर्माण कर शहर के कचरे को एकत्रित रखना जायज नहीं है।