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न्याय का वादा कर खामोश बैठी सरकार, लाखों का खर्चा कर कागजों पर हो रहे हैं जलाशयों की मरम्मत

locationकोरीयाPublished: Jun 16, 2019 04:38:29 pm

Submitted by:

CG Desk

* लाखों रुपए खर्च फिर भी किसानों के हाथ खाली, खेती के लिए नहीं मिल रहा पानी
* मरम्मत कागजों पर : नहर की भी स्थिति खराब, विभागीय लापरवाही से सूख रहे जलाशय

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न्याय का वादा कर खामोश बैठी सरकार, लाखों का खर्चा कर कागजों पर हो रहे हैं जलाशयों की मरम्मत

कोरिया। सरकार किसानों को फसल सुविधा से लेकर कर्ज माफ़ी तक का दावा करने को तैयार है लेकिन किसानो की मुलभुत सुविधा के तरफ रुख नहीं मोड़ पाई है। दरअसल प्रदेश के कोरिया जिले अंतर्गत सोनहत ब्लॉक मुख्यालय के किसानों को रबी व खरीफ फसल की सिंचाई के लिए पानी मिल सके, इसके लिए डउका बुड़ा जलाशय का निर्माण कराया गया था। लंबे समय से उक्त जलाशय का स्लूस गेट खराब है, जिसे आज तक न तो बनवाया गया है और न ही बदला गया है।
इन सभी परेशानियों के कारण फसल का मौसम आने से पहले ही जलाशय का पानी बह जाता है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है। डउका बुड़ा जलाशय से पानी नहीं मिलने के कारण सोनहत के 60 से ज्यादा किसानों की 400 एकड़ की खेती प्रभावित हो रही है। पहले किसान खरीफ सहित रबी की फसल लेते थे। नहर के जाम होने व स्लूस गेट में आई खराबी के कारण पानी नहीं मिलने से पिछले कई साल से एक भी फसल सही ढंग से नहीं ले पा रहे है।
Reservoir

बंसत झरिया भी सूखने के कगार पर
सोनहत ग्राम पंचायत अंर्तगत स्थित बंसत झरिया तालाब में भी जल स्तर तीव्र गति से घट रहा है, वर्तमान में काफी कम पानी ही शेष बचा है जिससे आस पास के किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सोनहत क्षेत्र के ग्रामीणों ने बसंत झरिया का गहरीकरण एवं घाट निर्माण कराए जाने की मांग स्थानीय प्रशासन से की है।

सुधार कार्य किसी काम के नहीं
उक्त जलाशय में 2016 में ही 9 लाख 23 हजार की लागत से बांध व नहर की पिचिंग एवं सुधार कार्य महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत कराया जाना बताया जा रहा है, लेकिन इस राशि का उपयोग कहां किया गया, समझ से परे ही नजर आ रहा है। जलाशय के नहर की लंबाई लगभग 3 किमी है, जो कचरे से जाम है। वर्तमान में स्थिति यह है की खुटरापारा मुख्य सड़क पर बनी पुलिया के दूसरी छोर पर बिल्कुल भी पानी नहीं जा पा रहा है जिससे बांध के कुल सिंचाई क्षेत्र के लगभग 30 से 40 फीसदी क्षेत्र में ही पानी जा सकता है, लेकिन उसमें भी किसानों को पानी नही मिल पा रहा है।

10 लाख के पोखर निर्माण में भी पानी नहीं
पानी के लगातार लिकेज से डउकाबुड़ा बांध अब लगभग सूख चुका है, आस पास के किसानों एवं ग्राम जनों ने जल्द बांध एवं नहर का मरम्मत कराए जाने की मांग की है। वही डउकाबुड़ा जलाशय के अंदर ही मत्स्य बीज संवर्धन हेतु पोखर निर्माण किया गया गया है, लेकिन इस पोखर में भी पानी नही होने के कारण अभी तक कितना मत्स्य संवर्धन हुआ यह कह पाना मुश्किल है । वहीं लोगों ने उक्त कार्य को औचित्य विहीन बताते हुए कहा की इसे बनाने से अच्छा जलाशय के गेट को बदल कर उका गहरीकरण कार्य कराना चाहिए था यदि ऐसा हुआ होता ग्रामीण किसानों को इसका सीधा लाभ मिला होता ।

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