कहानी हौसले और जज्बे की: रोड एक्सीडेंट में एक पैर खोया, भविष्य की चिंता में आत्महत्या की कोशिश, अब हैं नेशनल पावरलिफ्टिंग कोच
कोरीयाPublished: Oct 16, 2022 06:18:32 pm
- एक्सीडेंट के साथ ही वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का सपना टूटा, लोगों के ताने सुनकर शराबी बन गए थे।


कहानी हौसले और जज्बे की: रोड एक्सीडेंट में एक पैर खोया, भविष्य की चिंता में आत्महत्या की कोशिश, अब हैं नेशनल पावरलिफ्टिंग कोच,कहानी हौसले और जज्बे की: रोड एक्सीडेंट में एक पैर खोया, भविष्य की चिंता में आत्महत्या की कोशिश, अब हैं नेशनल पावरलिफ्टिंग कोच,कहानी हौसले और जज्बे की: रोड एक्सीडेंट में एक पैर खोया, भविष्य की चिंता में आत्महत्या की कोशिश, अब हैं नेशनल पावरलिफ्टिंग कोच
बैकुंठपुर(योगेश चंद्रा)। एनसीसी कैडेट्स का रोड एक्सीडेंट में एक खोने और वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का सपना टूटने पर शराब में डूबकर आत्महत्या की कोशिश करने वाले दिव्यांग युवक आज अपने बुलंद हौसले-जज्बे से नेशनल पावरलिफ्टिंग कोच हैं। अपनी मेहनत के बल पर अपने २८ शिष्यों को नेशनल-स्टेट लेवल कॉम्पीटिशन में गोल्ड मेडल जीता चुके हैं।
ये कहानी है चिरमिरी हल्दीबाड़ी वार्ड क्रमांक १६ निवासी धर्मेंद्र दास की, जिनकी उम्र ३६ साल है। जिसने स्कूल-कॉलेज में एनसीसी कैडेट्स के साथ पढ़ाई करने और पुलिस-सशस्त्र बल में भर्ती होकर देश की सेवा करने का सपना देखा था। फिर वर्ष २००९ में महज २२ साल की उम्र में रोड एक्सीडेंट्स में अपना एक पैर खोकर दिव्यांग हो गए। साथ ही पुलिस-आर्मी जवान बनने का सपना चकराचूर हुआ। आस पड़ोस के लोग ताने देने लगे, कि जवान लड़का है, अपनी जिंदगी खराब कर ली, आगे क्या करेगा। हालत ऐसे, कि शराब पीने लगे और शराब के नशे में आत्महत्या की कोशिश भी कर चुके थे। अचानक एक दिन दोस्त ने जिम जाने की सलाह दी और अपने साथ ले गया। जिम में धीरे-धीरे एक साल बीत गया और जिम में अच्छा लगने लगा। वर्ष २०१८ में दोस्त की सलाह पर रायपुर पावरलिफ्टिंग कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेने चले गए। जिसमें दिव्यांग केटगरी में गोल्ड जीतने में कामयाब हो गए। फिर दिव्यांग धर्मेंद्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पावरलिफ्टिंग में आगे बढ़ते गए। आज पावरलिफ्टिंग में नेशनल कोच व राष्ट्रीय निर्णायक बन गए हैं।
राजीव गांधी अवार्ड से सम्मानित, कोरिया का पहला पावर-स्ट्रेंथ लिफ्टर का तमगा मिला है
दिव्यांग कोच धर्मेंद्र वर्ष २०१८ से एक के बाद एक नेशनल कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेने लगे। महज तीन साल में ९ नेशनल पावर लिफ्टिंग, ४ नेशनल स्ट्रेंथ लिफ्टिंग, आईबीबीएफ बॉडी बिल्डिंग और ४ बॉडी बिल्डिंग में लिया। वहीं १५ स्टेट, १३ नेशनल और राष्ट्रीय बॉडी बिल्डिंग में प्रमाण पत्र मिल चुका है। साथ ही कोरिया में पहला पावरलिफ्टर, स्ट्रेंथ लिफ्टर हैं। वर्तमान में वर्ष २०२२ के नगर निगम में स्वच्छता ब्रांड एम्बेसेडर हैं।
दिव्यांग गुरु के २८ शिष्य नेशनल-स्टेट कॉम्पीटिशन में गोल्ड जीत चुके हैं
दिव्यांग नेशनल कॉम्पीटिशन के निर्णायक धर्मेंद्र कोरिया के करीब १५० शिष्यों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। जिसमें ५० शिष्य सब जूनियर, जूनियर, सीनियर, मास्टर, मास्टर-१,मास्टर-२ व मास्टर-३ केटगरी पावर लिफ्टिंग में अपना कॅरियर बना रहे हैं। नेशनल लेवल पर गोल्ड जीतने वाले रत्ना शाक्या, संजीदा खातून, शकुंतला सिंह, कमलादेवी, शशि प्रसाद साहू, रवि कुमार, दिवस प्रसाद, सागर दास, संजूदास,शेख अलिसा,आशा टिग्गा, सालिनी राजन, रुचि खांडे,पीयूष, वर्षा सूर्यवंशी, मयंक विश्वकर्मा,जेनिफर खलखो शामिल हैं।