कोरिया जिले के बैकुंठपुर से लगे ग्राम पंचायत बुड़ार निवासी कालीचरण उर्फ विपता की कोई संतान नहीं है। उसने अपनी जमीन का फर्द बंटवारा कराने उप तहसील पटना में आवेदन लगाया था। इस दौरान पक्षकार ने प्रार्थी का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कर दिया है। जिसके आधार पर फर्द बंटवारे पर रोक लगा दी गई है।
वहीं जिंदा बुजुर्ग अपने उपनाम का मृत्यु प्रमाण देखकर हैरान (Shocked) हो गया। मामले बुजुर्ग मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर पटना थाना पहुंचा और बोला, साहब मैं जिंदा हूं, बावजूद मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र बन गया है। ग्राम पंचायत बुडार के सचिव के हस्ताक्षर से 14 मार्च 2019 को मृत्यु प्रमाण पत्र बना है।
इसमें बुजुर्ग कालीचरण उर्फ विपता की 16 मार्च 1958 को मृत्यु (Death) होने का उल्लेख है। मामले में बुजुर्ग एसडीएम, तहसील व थाना में शिकायत कर स्वयं को जीवित साबित करने में एड़ी-चोटी लगा रहा है।
बुजुर्ग कालीचरण का कहना है कि मंैने कई बार लोकसभा, विधानसभा व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर जनप्रतिनिधि चुना है, बावजूद मुझे प्रशासनिक दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया गया है।
सचिव का दावा, प्रमाण-पत्र व हस्ताक्षर फर्जी
ग्राम पंचायत बुडार के सचिव रामलखन राजवाड़े ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाया गया है। प्रमाण पत्र 14 मार्च को जारी हुआ है, जबकि मृत्य तिथि 16 मार्च 1958 अंकित है। यह प्रमाण पत्र व हस्ताक्षर फर्जी है। इसकी शिकायत जनपद सचिव व तहसीलदार को सौंपी गई है।
ग्राम पंचायत बुडार निवासी शिवरतन के दो पुत्र थे। पहले पुत्र रामचरण व दूसरे पुत्र का नाम कालीचरण उर्फ विपता है। पहले पुत्र रामचरण की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी है और उसके एक पुत्र श्यामलाल यादव हैं। दूसरे पुत्र कालीचरण को प्रशासनिक दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया गया है।
की जा रही है जांच
मामले में शिकायत मिली है। जीवित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुआ है। इसकी जांच की जा रही है।
संदीप सिंह, थाना प्रभारी पटना