कोटा शहर में सरकार से अनुमोदित 300 से अधिक मल्टी सोसायटी में जलदाय विभाग जलापूर्ति के कनेक्शन नहीं दे रहा है। मल्टीनिर्माताओं व आवासीय योजना की समितियों ने मीठे पानी की मांग को लेकर स्थानीय प्रशासन, नेताओं से लेकर सरकार तक आवाज उठाई, लेकिन पानी की मुलभूत सुविधा इन लोगों तक नहीं पहुंची है।
केवल वोट मांगने आते हैं… मल्टी व निजी आवासीय योजनाओं के लोगों का कहना है कि हर चुनाव में नेता उन्हें चम्बल के पानी की जलापूर्ति करवाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव बाद पलटकर कोई सोसायटी की तरफ देखता तक नहीं।
कोचिंग के हजारों बच्चे भी प्रभावित- कोचिंग सिटी कोटा में लगभग 3000 से अधिक बहुमंजिला हॉस्टल संचालित हैं। इनमें देशभर के लगभग 50 हजार विद्यार्थी रहते हैं। लगभग 1000 हॉस्टल में बोरिंग या टैंकरों के जरिए ही जलापूर्ति हो रही है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा बना हुआ है।
फैक्ट फाइल- मल्टी सोसायटी बिल्डिंग-
150000 से ज्यादा लोग चम्बल के पानी से वंचित कोटा शहर में 300 करीब कुल मल्टी स्टोरी बिल्डिंग/ बहुमंजिला आवासीय योजना है कोटा शहर में
150 मल्टी स्टोरी बिल्डिंग है नए कोटा में
30 करीब मल्टी स्टोरी बूंदी रोड नदीपार क्षेत्र में 20 मल्टी स्टोरी है बारां रोड पर
हॉस्टल – 3000 से अधिक बहुमंजिला हॉस्टल है कोटा शहर में
50 हजार छात्र रहते हैं हॉस्टल में।
20 हजार छात्रों को चम्बल का पानी नहीं मिल रहा ( आंकड़ा स्रोत : मल्टी सोसायटी एवं हॉस्टल एसोसिएशन के अनुसार)
फाइल को स्वीकार ही नहीं करते-
-प्रकाश गवालेरा व प्रदीप दाधीच (बिल्डर्स), प्रदीप चतुर्वेदी (अध्यक्ष, शिवम एनक्लेव सोसायटी, कोटा)
— इसलिए नहीं मिल रहे कनेक्शन-
-जलदाय विभाग आवेदन ही स्वीकार नहीं करता, बहुत सी शर्तें बताकर टरका देता है। -मल्टी स्टोरी को ध्यान में रखकर जलप्रदाय योजना तैयार नहीं करता।
-निजी कॉलोनी की आबादी मानकर अनदेखी होती है।
-जलदाय विभाग ने नियमों का सरलीकरण नहीं किया, ताकि नियमों का हवाला देकर आवेदक को टरकाया जा सके।