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अलविदा आईएलः साइरन की सलामी देकर बंद की फैक्ट्री अचानक महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम व पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे और आयु सम्बन्धित प्रमाण पत्र देखने लगे तो परिजनों के हाथ पैर फूल गए। दस्ते ने कार्रवाई शुरू की। आखिर परिजनों को बेटे-बेटियों की शादी रोकनी पड़ी और लिखकर देना पड़ा कि जब तक लाडले विवाह योग्य नहीं होंगे, उनका विवाह नहीं करेंगे। यह भी पढ़ें
#TotalNoToChildMarriage बच्चों की शादी रोकने के लिए प्रशासन लगा रहा फेरे बाल विवाह करने की गलती में पिछले एक साल में 124 परिवार के लोगों को समाज के सामने नीचा देखना पड़ा। महिला अधिकारिता विभाग से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार गत छह वर्षों में जिले में विभिन्न स्थानों से बाल विवाह होने की करीब 200 शिकायतें मिली। इनमें से 65 शिकायतें झूठी निकली, वहीं प्रशासन ने 124 बाल विवाह रुकवाए। आ रही है चेतना महिला अधिकारिता विभाग से एकत्रित जानकारी के अनुसार बाल विवाह की शिकायतों में लगातार कमी आ रही है। वर्ष 2012-13 के बाद से ही लगातार शिकायतें कम आ रही हैं। वर्ष 2012-13 से तुलना करें तो शिकायतों की संख्या एक चौथाई से भी कम है। गत वर्ष तो महज 17 शिकायतें मिली। इनमें से 4 सही निकली।
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#Totalnotochildmarriage बचपन में शादियां तो घेर सकती है बीमारियां खूब हुई दौड़भाग वर्ष 2012-13 में महिला एवं बाल विकास विभाग व प्रशासन के दस्ते को जमकर भागदौड़ करनी पड़ी। इस वर्ष बाल विवाह की 66 शिकायतें आईं। इनमें से 55 शिकायतें सही निकली। इन शिकायतों के आधार पर विवाह रुकवाए गए।