उसने प्रति नकल सौ-सौ रुपए के हिसाब से कुल 200 रुपए की रिश्वत की मांग की। एसीबी ने इस रिपोर्ट पर सत्यापन करवाया। सत्यापन में आरोपी कनिष्ठ लिपिक द्वारा परिवादी से 200 के स्थान पर डेढ़ सौ रुपए की रिश्वत की राशि प्राप्त करने के लिए सहमत होने की पुष्टि हो गई।
इस पर ट्रैप कार्रवाई का आयोजन किया। एसीबी टीम ने 19 दिसंबर 2012 को ट्रेप कार्रवाई कर आरोपी को 150 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। बारां एसीबी ने अनुसंधान के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले में 10 गवाहों के बयान करवाए गए। न्यायालय ने सुनवाई के बाद आरोपी को 2 साल का कठोर कारावास एवं 30 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया।