scriptमामले को रफा-दफा करने के लिए ली थी 5 हजार रुपए रिश्वत, भीमगंजमंडी थाने के तत्कालीन एएसआई को 4 वर्ष कठोर कारावास | 4 years rigorous imprisonment for the then ASI | Patrika News

मामले को रफा-दफा करने के लिए ली थी 5 हजार रुपए रिश्वत, भीमगंजमंडी थाने के तत्कालीन एएसआई को 4 वर्ष कठोर कारावास

locationकोटाPublished: Oct 08, 2021 10:05:19 pm

Submitted by:

dhirendra tanwar

झूठे साक्ष्य देने पर परिवादी नोटिस से तलब

मामले को रफा-दफा करने के लिए ली थी 5 हजार रुपए रिश्वत, भीमगंजमंडी थाने  के तत्कालीन एएसआई को 4 वर्ष कठोर कारावास

मामले को रफा-दफा करने के लिए ली थी 5 हजार रुपए रिश्वत, भीमगंजमंडी थाने के तत्कालीन एएसआई को 4 वर्ष कठोर कारावास

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने वर्ष 2009 में भीमगंजमंडी पुलिस थाने में दर्ज मुकदमे में आरोपी का नाम हटाने व मामले को रफा-दफा करने की एवज में रिश्वत लेने के मामले में भीमगंजमंडी थाने के तत्कालीन एएसआई भंवर सिंह को 4 वर्ष का कठोर कारावास व 70 हजार रुपए जुर्माना, अदम अदायगी 4 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा से दंडित किया है। साथ ही परिवादी प्रकाश सिंह द्वारा झूठे साक्ष्य देने पर धारा 344 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी कर तलब किया है।
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि परिवादी प्रकाश सिंह की स्टेशन माला रोड पर प्रकाश बैंड के नाम से दुकान है। कांति बाई राव ने दुर्गा लाल के खिलाफ पैसा खाने तथा इस मामले में प्रकाश को भी बीच में डालते हुए उसकी शिकायत भीमगंजमंडी थाने में की थी। एएसआई भंवर सिंह ने परिवादी प्रकाश को 11 फरवरी 2009 को थाने बुलाया तथा उसे बंद करने की धमकी दी और मामले को रफा-दफा करने के लिए 5 हजार रुपए रिश्वत मांगी। उससे कहा कि 5 हजार रुपए दे तो मामले से हटा दूंगा। एसीबी ने 13 फरवरी 2009 को आरोपी एएसआई भंवरसिंह को परिवादी प्रकाश सिंह की माला रोड स्थित बैंड की दुकान के सामने से 5 हजार रुपए रिश्वत प्राप्त करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। एसीबी द्वारा न्यायालय में आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया था।
वर्दी को किया दागदार

न्यायालन ने अपने मत में कहा कि परिवादी के खिलाफ पुलिस थाना भीमगंजमंडी में प्रस्तुत परिवाद पर आरोपी भंवर सिंह द्वारा लोक कर्तव्यों के निर्वहन में सक्षम प्राधिकारी के समक्ष निष्पक्ष रूप से जांच कर भिजवाने की विधिक व प्रशासनिक जिम्मेदारी थी, लेकिन आरोपी द्वारा लोक कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती गई। उक्त आपराधिक प्रकरण में नाजायज रूप से परिवादी से रिश्वत की मांग करते हुए 5 हजार रुपए रिश्वत लेकर पुलिस विभाग की प्रतिष्ठा को धूमिल कर वर्दी को दागदार किया है।
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