इसलिए बनाया यह चश्मा प्रत्युष बताते हैं कि वाहन चलाते समय नींद आने से होने वाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा काफी बड़ा है, जो चिंता का विषय है। गाड़ी में अन्य सवारियों की जिदंगियां भी चालक की सुरक्षात्मक ड्राईविंग पर निर्भर करती है। सीआर आर आई (सेन्ट्रल रूट रिसर्च सेंटर) लखनऊ के एक सर्वे के मुताबिक 20 फीसदी सड़क दुघटनाऐं वाहन चलाते समय नींद या झपकी लगने से होती हैं। इसे देखते हुए प्रत्युष के मन में इस तरह का उपकरण बनाने का विचार आया।
ऑर्डिनो सिद्धांत पर कार्य
विज्ञान के विद्यार्थी प्रत्युष सुधाकर ने बताया कि यह चश्मा विज्ञान के आर्डिनो सिद्धांत पर कार्य करता है। यह कम्प्यूटराईज्ड सॉफ्टवेयर पर आधारित है। इसमें कुछ छोटे-छोटे उपकरण लगाए गए हैं। चश्मे पर एक आईआर सेंसर लगा है। एक ग्लास पर छोटी टॉर्च के बल्ब नुमा एक आईआर एलईडी व फोटो डायोड है। जैसे ही झपकी आने पर पलकें बंद होती है तो यह मैसेज फोटो डायोड ले लेता है। इस तरह प्राप्त सिग्नल चश्में में लगाए अन्य उपकरण ऑर्डिनो नेनो के माध्यम से वाइब्रेटर व बजर को मिलते हैं। इससे वाईब्रेशन के साथ तेजी से सायरन बजने लगता है। वाइब्रेशन व साइरन की तीव्रता चालक की नींद को उड़ा देती है।
विज्ञान के विद्यार्थी प्रत्युष सुधाकर ने बताया कि यह चश्मा विज्ञान के आर्डिनो सिद्धांत पर कार्य करता है। यह कम्प्यूटराईज्ड सॉफ्टवेयर पर आधारित है। इसमें कुछ छोटे-छोटे उपकरण लगाए गए हैं। चश्मे पर एक आईआर सेंसर लगा है। एक ग्लास पर छोटी टॉर्च के बल्ब नुमा एक आईआर एलईडी व फोटो डायोड है। जैसे ही झपकी आने पर पलकें बंद होती है तो यह मैसेज फोटो डायोड ले लेता है। इस तरह प्राप्त सिग्नल चश्में में लगाए अन्य उपकरण ऑर्डिनो नेनो के माध्यम से वाइब्रेटर व बजर को मिलते हैं। इससे वाईब्रेशन के साथ तेजी से सायरन बजने लगता है। वाइब्रेशन व साइरन की तीव्रता चालक की नींद को उड़ा देती है।
वर्कशॉप का मिला फायदा
प्रत्युष ने गत वर्ष जुलाई में साइंस की वर्कशॉप में भाग लिया था। इसमें वन लाइनर रोबोट बनाना सीखा। इससे विचार आया कि क्यों ने रूट सेफ्टी डिवाइस बनाया जाए। इस पर कार्य करना शुरू कर दिया। इसे तैयार करने में छह माह लगे। प्रत्युष के पिता आशीष सुधाकर एचडीएफसी बैंक में मैनेजर हैं। जबकि मां ममता सक्सेना दादाबाड़ी स्थित बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में फिजिक्स की व्याख्याता हैं।
प्रत्युष ने गत वर्ष जुलाई में साइंस की वर्कशॉप में भाग लिया था। इसमें वन लाइनर रोबोट बनाना सीखा। इससे विचार आया कि क्यों ने रूट सेफ्टी डिवाइस बनाया जाए। इस पर कार्य करना शुरू कर दिया। इसे तैयार करने में छह माह लगे। प्रत्युष के पिता आशीष सुधाकर एचडीएफसी बैंक में मैनेजर हैं। जबकि मां ममता सक्सेना दादाबाड़ी स्थित बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में फिजिक्स की व्याख्याता हैं।