scriptलो हुआ इंतज़ार खत्म, अब आएगी राजा अल्फांसो की बेगम | A Tigress is going to come in Mukandra hills | Patrika News

लो हुआ इंतज़ार खत्म, अब आएगी राजा अल्फांसो की बेगम

locationकोटाPublished: Jun 26, 2018 12:31:05 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग पर करीब तीन माह पहले एनटीसीए द्वारा लगाई गई अस्थाई रोक से प्रभावित मुकुन्दरा का शहंशाह ‘एमटी 1’ हो रहा था।

MT1

लो हुआ इंतज़ार खत्म, अब आएगी राजा अल्फांसो की बेगम

कोटा. विभागीय अधिकारियों के अनुसार ‘एमटी-1Ó की जोड़ी बनाने के लिए जुलाई के अंत तक बाघिनें मुकुन्दरा में छोड़ी जा सकती हैं। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग पर करीब तीन माह पहले एनटीसीए द्वारा लगाई गई अस्थाई रोक से प्रभावित मुकुन्दरा का शहंशाह ‘एमटी 1Ó हो रहा था।
रणथंभौर से अपने वजूद की तलाश में निकले इस टाइगर को वन विभाग की टीम रेस्क्यू कर मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में लेकर आई थी। रोक के चलते इसकी जोड़ी नहीं बन पा रही थी, अब बाघ शिफ्टिंग से रोक हटने के बाद अब इसकी जोड़ी बनने की राह खुली है। जोड़ी किसके साथ बनेगी फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दो बाघिनों को लाकर टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा।
यह भी पढ़ें

कोटा वसियो का अटूट प्रकृति प्रेम-



ढाई माह से एकाकी

सरकार की योजना के तहत दिसम्बर 2017 तक मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 1 बाघ व 2 बाघिनों को लाकर बसाना था। बजरी पर रोक व अन्यकारणों के चलते इसमें देरी हो गई। फिर मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रेल के पहले सप्ताह में बाघ को टाइगर रिजर्व में बसाना तय हुआ, लेकिन प्राधिकरण की नाराजगी के चलते यह संभव नहीं हुआ।
हो सकती थी मुश्किल
इधर एनटीसीए और वन विभाग के बीच के प्रकरण से टाइगर एमटी वन प्रभावित होने की आशंका थी। सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी पंकज सक्सेना के अनुसार वन्यजीव भी इंसानों से अधिक संवेदनशील होते हैं। जैसे हम अकेले नहीं रह सकते, ये भी नहीं रह सकते। इनके जैसे किसी साथी की मौजूदगी रहनी चाहिए।
यह भी पढ़ें

अगर नहीं सुधरे हम तो धरती का डूबना तय


साथी के अभाव में ये आक्रामक भी हो सकते हैं, वहीं लगातर अकेले रहने के कारण फिर कोई अपने जैसा साथी मिल भी जाए तो उसे स्वीकार करने न करे कहा नहीं जा सकता, लेकिन अब रोक हटा दी गई है तो यह एमटी वन के लिए सुखद है।
घर बसने की जल्दी सभी को
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग का दर्द शहरवासियों को भी था। वर्षों इंतजार के बाद मुकुन्दरा में टाइगर को लाने की योजना धरातल पर उतरी। लाने की तैयारियां पूरी हो गई तो प्राधिकरण ने रोक लगा दी। इस रोक के चलते एमटी वन अकेला पड़ गया। इससे वन्यजीव प्रेमी काफी चिंतित थे। इस पर गत दिनों डॉ सुधीर गुप्ता, तपेश्वर सिंह भाटी, कृष्णेन्द्र नामा व विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों ने एनटीसीए को पत्र लिखा और एमटी- 1 पर अकेलेपन से पडऩे वाले प्रभावों को बताया।
यह भी पढ़ें

“आइसक्रीम” ने 6 को पहुंचाया अस्पताल


डॉ गुप्ता के अनुसार इन पत्रों से बताया कि रणथंभौर में बाघों की अधिकता वे बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में मुकुन्दरा हिल्स उपयुक्त हो सकता है। विभिन्न संस्थाओं की ओर इस तरह से 100 से अधिक मेल किए। यह संभवत पहला मामला है, जब शहर के लाखों लोग एक वन्यजीव का स्वागत कर रहे हैं।
…तो रामगढ़ से रेस्क्यू किया बाघ

एनटीसीए की रोक के चलते किसी टाइगर रिजर्व से लाकर मुकुन्दरा में बाघ छोडऩा संभव नहीं था। लेकिन इधर रणथंभौर से निकला बाघ टी-91 रामगढ़ अभयारण्य में आ गया था। विभाग इसे रेस्क्यू कर 3 अप्रेल को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में ले आया और यहां दरा में बनाए गए एनक्लोजर में छोड़ दिया।
बाद में एनक्लोजर का दरवाजा खोल इसे 82 वर्ग किलोमीटर में छोड़ दिया गया। इसका नामकरण भी किया गया। तब से मुकुन्दरा का शहंशाह को अपनी जोड़ी बनने का इंतजार था।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो