कोटा वसियो का अटूट प्रकृति प्रेम-
ढाई माह से एकाकी सरकार की योजना के तहत दिसम्बर 2017 तक मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 1 बाघ व 2 बाघिनों को लाकर बसाना था। बजरी पर रोक व अन्यकारणों के चलते इसमें देरी हो गई। फिर मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रेल के पहले सप्ताह में बाघ को टाइगर रिजर्व में बसाना तय हुआ, लेकिन प्राधिकरण की नाराजगी के चलते यह संभव नहीं हुआ।
इधर एनटीसीए और वन विभाग के बीच के प्रकरण से टाइगर एमटी वन प्रभावित होने की आशंका थी। सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी पंकज सक्सेना के अनुसार वन्यजीव भी इंसानों से अधिक संवेदनशील होते हैं। जैसे हम अकेले नहीं रह सकते, ये भी नहीं रह सकते। इनके जैसे किसी साथी की मौजूदगी रहनी चाहिए।
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साथी के अभाव में ये आक्रामक भी हो सकते हैं, वहीं लगातर अकेले रहने के कारण फिर कोई अपने जैसा साथी मिल भी जाए तो उसे स्वीकार करने न करे कहा नहीं जा सकता, लेकिन अब रोक हटा दी गई है तो यह एमटी वन के लिए सुखद है।
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग का दर्द शहरवासियों को भी था। वर्षों इंतजार के बाद मुकुन्दरा में टाइगर को लाने की योजना धरातल पर उतरी। लाने की तैयारियां पूरी हो गई तो प्राधिकरण ने रोक लगा दी। इस रोक के चलते एमटी वन अकेला पड़ गया। इससे वन्यजीव प्रेमी काफी चिंतित थे। इस पर गत दिनों डॉ सुधीर गुप्ता, तपेश्वर सिंह भाटी, कृष्णेन्द्र नामा व विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों ने एनटीसीए को पत्र लिखा और एमटी- 1 पर अकेलेपन से पडऩे वाले प्रभावों को बताया।
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डॉ गुप्ता के अनुसार इन पत्रों से बताया कि रणथंभौर में बाघों की अधिकता वे बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में मुकुन्दरा हिल्स उपयुक्त हो सकता है। विभिन्न संस्थाओं की ओर इस तरह से 100 से अधिक मेल किए। यह संभवत पहला मामला है, जब शहर के लाखों लोग एक वन्यजीव का स्वागत कर रहे हैं।