यह भी पढ़ें
कारीगर पिता ने देखा था सपना, बेटे ने किया साकार.. 24 मार्च 2014 को आरोपी सुरेश ने 100 रुपए के स्टांप पर रिपुदमन कुशवाह के नाम का तस्दीक शुदा इकरारनामा दिया और कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते वो खुद का करारनामा नहीं दे सकता। जिसके बाद धनसी ने सुरेश को 60, 80 हजार और 1 लाख रुपए की अलग-अलग तीन किश्तों में दिए। जब धनसी ने सुरेश को प्लाट की फाइल देने को कहा तो उसने बताया कि वो प्लाट बंटवारे में उसके हिस्से में नहीं आया, इसलिए वह उसे दूसरा प्लाट दे देगा। धनसी को उसने प्लाट नम्बर 12 देने के लिए राजी कर लिया। जब धनसी कुछ दिनों बाद मौके पर गया तो पता चला कि उस प्लॉट पर पहले से किसी ने चारदीवारी करवा रखी हैं। जब धनसी ने उससे संपर्क किया तो उसने कहा कि उक्त फाइल उसने बोरखेड़ा निवासी भंवरसिंह से खरीदी है। यह भी पढ़ें
कोटा में कोरोना बना बुजुर्गों का काल, 2 घंटे में ही तोड़ा दम भंवर सिंह ने यह फाइल घनश्याम कुशवाह से खरीदी है। जब इसके बाद धनसी ने आरोपी सुरेश चन्द शर्मा को बताई, तो उसने मदद करने से इनकार कर दिया। ऐसे आरोपी सुरेश चन्द शर्मा, रिपुसुदन, सुरेश गुर्जर, भंवरसिंह और घनश्याम कुशवाह ने एक राय होकर उसके प्लॉट संख्या 12 को हड़पने का अपराधिक षडयंत्र रचकर, छल कपट करके कूटरचित दस्तावेज तैयार कर नकली फाइल बनाकर रुपए हड़प लिए। इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपियों के खिलाफ पूर्व में भी कई प्रकरण दर्ज है।