सहायक लोक अभियोजक अशोक कुमार जोशी ने बताया कि एसीबी कोटा को शिकायत मिली कि नगर निगम के तत्कालीन फायर ऑफिसर राहत खान जमाली, सहायक अग्निशमन अधिकारी घासी लाल, सेवानिवृत्त
लेखाकार रमेश चंद्र सोलंकी एवं झम्मन सिंह तथा शॉपिंग सेंटर स्थित दुकान के प्रोपराइटर सुनील मल्होत्रा ने मिलकर नगर निगम को बिना आवश्यकता के एक फायर ट्रोला क्रय किया है ।
इस मामले में एसीबी ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर को रिपोर्ट भेज कर मुकदमा दर्ज किया था जिसमें पाया गया कि सुनील मल्होत्रा द्वारा कूट रचित दस्तावेज बनाना पाया गया इस प्रकार धवन
फायर को
इंजीनियर नई दिल्ली द्वारा रिएक्शन फायर मार्क कोटा को अधिकृत विक्रेता होने एवं फायर ट्रॉला के प्रोपराइटर होने का तथ्य जुटा पाया गया साथ ही धवन फायर को इंजीनियर के प्रोपराइटर ने भी अपने बयानों में ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट जारी करने से इंकार कर दिया।
निगम द्वारा फायर ट्रोला के बदले किए गए भुगतान के संबंध में अनुसंधान के दौरान पाया कि समस्त भुगतान चेक के द्वारा प्रोपराइटर सुनील मल्होत्रा रिएक्शन को फायर मार्क कोटा के नाम किया गया है जांच के दौरान 4 जुलाई 1996 को राहत खान जमाली ने फायर टोला की आवश्यकता नहीं होने पर भी सुनील मल्होत्रा से मिलकर धवन फायर इंजीनियर नई दिल्ली अधिकृत विक्रेता प्रतिनिधि बताकर रिएक्शन फायर मार्क मार्क के कोटेशन के साथ फायर ट्रोला क्रय करने का प्रस्ताव नगर निगम को प्रस्तुत कर दिया।
साथ ही बताया कि भारत में टोला को प्रोपराइटरी आइटम बनाने की कंपनी केवल एक धवन फायर इंजीनियरिंग ही है झम्मन सिंह रमेश चंद्र सोलंकी प्रकाश चंद्र जैन एवं नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम आर मीणा मैं सभी तथ्यों की जांच किए बिना ही प्रस्तावित कार्य टोला प्रोपराइटरी आइटम को मैसर्स रिएक्शन कोटा फर्म की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी साथ ही बिना टेंडर किए ही ट्रोला को ढाई लाख का तथा 10% टैक्स किराए के लिए 19 अगस्त 1997 को रिएक्शन फायर इंजीनियर के नाम सप्लाई आदेश दे दिया और भुगतान कर दिया जबकि टोला सप्लाई ही नहीं हो पाया था।