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दौसा जिले के मेहंदीपुर निवासी छोटेलाल ठीकरिया ने शनिवार को एसीबी का अधिकारी बनकर कैथून थाना क्षेत्र स्थित दो सरकारी स्कूलों में निरीक्षण किया था। वहां रौब दिखाकर पोषाहार रजिस्टर चैक किए। बच्चों से किताबें पढ़वाई। उसकी हकीकत पता चलने के बाद एसीबी ने सोमवार को बोरखेड़ा क्षेत्र से पकड़ा। पूछताछ के बाद उसे कैथून पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने दोनों स्कूलों की अध्यापिकाओं की रिपोर्ट पर आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। Big News: लीजिए राहुल गांधी हो गए हैं देश के पूर्व प्रधानमंत्री
बूंदी में भी किया काम
कैथून थाने के उप निरीक्षक रामपाल शर्मा ने बताया कि छोटेलाल के पास मिले मीडिया के पहचान पत्रों की जांच करने पर पता चला कि वह पहले दौसा में एक समाचार पत्र में काम करता था। बाद में एक समाचार चैनल में नौकरी करने लगा। बूंदी में भी कुछ समय तक काम किया। मीडिया में रहते हुए उसने कई विभागों के खिलाफ मनगढंत समाचार दिखाए व प्रकाशित किए। इसका पता चलने पर उसे चैनल से एक फरवरी को निकाल दिया। लेकिन उसका पहचान पत्र व लोगो उसी के पास था।
अपडाउन करता, दोस्त की कार बताई
एसआई ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि वह दौसा और जयपुर से अक्सर कोटा अपडाउन करता था। यहां आने पर किसी से भी परिचय बढ़ाकर उसके पास रहने लग जाता था। वह स्कूलों में जिस कार से आया था वह अपने किसी दोस्त की बता रहा है। लेकिन उसका नाम-पता नहीं बताया। आरोपित से पूछताछ की जा रही है।
एसआई ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि वह दौसा और जयपुर से अक्सर कोटा अपडाउन करता था। यहां आने पर किसी से भी परिचय बढ़ाकर उसके पास रहने लग जाता था। वह स्कूलों में जिस कार से आया था वह अपने किसी दोस्त की बता रहा है। लेकिन उसका नाम-पता नहीं बताया। आरोपित से पूछताछ की जा रही है।
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अधिकारियों से नाम से दिखाता था रौब
आरोपित के पास सभी विभागों के बड़े अधिकारियों के मोबाइल नम्बर व नाम हैं। वह सभी को जानता भी है। नौकरी से निकाले जाने के बाद भी वह अपना रूतबा कायम रखना चाहता था। बोलने में माहिर होने से वह एसीबी अधिकारी बनकर उन अधिकारियों के नाम से डराता और धमकाता था। शराब बंदी अभियान से जुड़ा होने के कारण वह ताथेड़ क्षेत्र के कई स्कूलों में पहले भी आ चुका।
अधिकारियों से नाम से दिखाता था रौब
आरोपित के पास सभी विभागों के बड़े अधिकारियों के मोबाइल नम्बर व नाम हैं। वह सभी को जानता भी है। नौकरी से निकाले जाने के बाद भी वह अपना रूतबा कायम रखना चाहता था। बोलने में माहिर होने से वह एसीबी अधिकारी बनकर उन अधिकारियों के नाम से डराता और धमकाता था। शराब बंदी अभियान से जुड़ा होने के कारण वह ताथेड़ क्षेत्र के कई स्कूलों में पहले भी आ चुका।