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कई बार सफलता देरी से मिलती है,लेकिन मेहनत बेकार नहीं जाती मामले के अनुसंधान अधिकारी एसीबी बूंदी के उप अधीक्षक तरुणकांत सोमानी ने बताया कि कच्ची बस्ती सुधार कार्यक्रम के तहत वर्ष 2001 में नगर निगम को संजय नगर व विज्ञान नगर में नाली व पटान निर्माण कार्य करवाना था। जिसके लिए मैसर्स जन स्वास्थ्य रोजगार प्रशिक्षण संस्थान जयपुर के संवेदक उमेश कुमार सिंह को कार्य कराने का ठेका नगर निगम ने दिया। लेकिन उसने कुछ काम किया और कुछ अधूरा छोड़ दिया। इसके बावजूद उसने निगम के कनिष्ठ अभियंता राजेश कुमार जिनकी देखरेख में यह काम किया गया था, बिलों पर उनके फर्जी हस्ताक्षर किए और करीब 3 लाख 37 हजार 230 रुपए का भुगतान प्राप्त कर लिया। इसकी शिकायत होने पर एसीबी कोटा के तत्कालीन एएसपी यशपाल शर्मा ने मामले की जांच की। जांच में पाया कि उमेश कुमार ने निगम के तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक शांति कुमार सेठी, लेखाकार रविदत्त सनाढ्य, कनिष्ठ लेखाकार संजय कुमार बाटिया, सहायक लेखाधिकारी कोमल कुमार अग्रवाल, वरिष्ठ लिपिक पन्नालाल व मानदेय पर नियुक्त अभियंता प्रकाश चंद सारस्वत से मिलीभगत कर यह भुगतान प्राप्त किया है। इस तरह से निगम के अधिकारी व कर्मचाररियों ने अपने पद का दुरुपयोग् किया। जबकि उमेश कुमार ने फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार कर निगम से 3.37 लाख 230 रुपए का भुगतान प्राप्त कर सरकारी राशि का गबन किया है। इस मामले में एसीबी ने सभी को जांच में दोषी मानते हुए उनके खिलाफ धारा 420, 465, 466, 467, 468, 471 व 120 बी और पीसी एक्ट की धारा 13(1)(सी) (डी) व 13(2) में चालान पेश किया।