कोटा के एमबीएस अस्पताल परिसर में संभाग की सबसे बड़ी व एकमात्र मानक प्रयोगशाला है। इस प्रयोगशाला में कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां जिले के सैम्पल की जांच होती है। इस प्रयोगशाला में 72 सेम्पल का वर्तमान में बैकलॉग है। जबकि प्रयोगशाला में प्रतिदिन सेम्पल की जांच क्षमता सिर्फ २ से 5 सेम्पल की है।
सरकार ने दिवाली त्योहारी पर मिलावट पर लगाम कंसने के लिए 26 अक्टूबर से फिर से शुद्ध का युद्ध अभियान चला दिया। जिसमें अब तक मात्र 12 नमूने ही लिए गए हैं।
मसाले- 3 से 5 दिन खोया मावा-2 दिन
तेल- 2 से 3 दिन दूध-2 दिन
(लेकिन बैकलॉग अधिक रहने से देरी से आ रही रिपोर्ट) रिपोर्ट का 14 दिन का है प्रावधान
हर साल ३० प्रतिशत नमूने फेल हो जाते हंै। 2019 में 1074 नमूने लिए थे। इनमें से 330 तो फेल हो गए थे। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा टीम ने पिछले साल 2019 में दिवाली पर घी, दूध, दही, पनीर, मावा, आइसक्रीम के ८२ सेम्पल लिए थे। उसमें से बर्फी मिठाई, मावा, बेसन के लड्डू, रसगुल्ला, आइसक्रीम के 10 नमूने फेल हो गए थे। चौकाने वाला पहलू तो यह है कि रिपोर्ट तब आई जब लोग खराब बेसन के लड्डू व रसगुल्ले खा चुके थे।
-त्योहार के समय मिलावट अधिक की जाती है, इसलिए पैठ वाली दुकान से ही खरीद करें। -जहां तक संभव हो, त्योहार पर मिठाइयां घर में ही बनाएं।
-घी भी मार्का व पैठ की ब्रांड का ही खरीदना चाहिए। खरीद से पहले रैपर, सील व एक्सपाइरी डेट आदि की जांच अवश्य कर लें।
यहां करें शिकायत- कहीं पर भी मिलावट की आशंका होने पर कोई भी व्यक्ति कोटा के सीएमएचओ कार्यालय या राज्य स्तर पर आयुक्त खाद्य सुरक्षा व निदेशक को शिकायत कर सकते हैं।
पुराना बैकलॉक 60 सेम्पल का हो गया है। शुद्ध का युद्ध अभियान में भी सेम्पल आ रहे हैं। एेसे में पुराना व नया दोनों बैकलॉग के पूरा होने में समय लगेगा। दिवाली से पहले इन सेम्पल की जांच रिपोर्ट आना नामुमकिन है।