https://www.patrika.com/kota-news/kota-market-grocery-and-bullion-market-price-7120705/ पत्रिका ने उठाया था मामला राजस्थान पत्रिका ने 11 फरवरी के अंक में ’19 साल साल में पाइप लाइन तक नहीं बिछा पाई सरकारÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया गया था कि कोटा विवि की स्थापना 2003 में हुई। कई सरकारें व कुलपति बदल गए, लेकिन विवि में पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी। जबकि हर बार प्रबंध मंडल की बैठकों में विवि में पानी की समस्या को लेकर मामला उठता है, लेकिन बैठक खत्म होने के बाद ही यह ठंडे बस्ते में चला जाता है। इस साल बैठक में प्रबंध मंडल सदस्य एकता धारीवाल ने इस कार्य को प्राथमिकता से हल करवाने का वादा किया था।
https://www.patrika.com/kota-news/religious-program-organized-on-the-ashtami-of-navratri-in-kota-7120659/ बढ़ गई लागत… विवि के तत्कालीन कुलसचिव ने 20 जून 2016 को उच्च शिक्षा विभाग के शासन सचिव को पत्र भेजकर पानी की व्यवस्था करने की अनुमति मांगी थी। उसकी सहमति भी मिल गई। उसके बाद जलदाय विभाग ने 4 अक्टूबर 2017 को 824.60 का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भिजवाया, लेकिन प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हुआ। कोटा विवि अब खुद के आय स्त्रोत से राशि वहन पर पाइन पाइन बिछाने के लिए तैयार हुआ है। 12 किमी की लाइन बिछाने के लिए अब लागत बढ़कर 12 करोड़ का प्रस्ताव तैयार हुआ है।
इनका यह कहना कोटा विवि प्रबंध मंडल की सदस्य डॉ. एकता धारीवाल ने कोटा विवि पहुंचकर मंत्री शांति कुमार धारीवाल का अनुशंसा पत्र कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह को दिया। अब विवि में पेयजल की समस्या का हल निकलने का रास्ता साफ हो गया है। यह कार्य विवि के खर्च पर कोटा जलदाय विभाग करवाएगा।
– आरके उपाध्याय, कुलसचिव, कोटा विवि, कोटा