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ये क्या! …खुद का कपड़ा और मशीन, त्योहार पर हो गईं गमगीन

locationकोटाPublished: Nov 11, 2020 11:57:39 pm

Submitted by:

mukesh gour

जागरूकता के नाम पर मानदेय कर्मियों की जेब पर ‘भार’

ये क्या! ...खुद का कपड़ा और मशीन, त्योहार पर हो गईं गमगीन

ये क्या! …खुद का कपड़ा और मशीन, त्योहार पर हो गईं गमगीन

बारां. कोरोना महामारी पर नियन्त्रण को लेकर राज्य सरकार के निर्देशानुसार लोगों में जागरूकता के लिए शुरू किए गए जन आंदोलन के तहत विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से मास्क व पेम्फलेट का वितरण किया जा रहा है। इसके लिए अधिकांश विभाग सरकारी राशि का ही उपयोग कर रहे हंै, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से विभाग के जिले में सेवारत सभी स्थायी, अस्थायी व मानदेय सेवा की महिला कर्मचारियों के स्वयं के स्तर पर हजारों मास्क बनाकर उपलब्ध कराने का फरमान जारी किया गया है। इसके लिए लिखित रूप से आदेश जारी कर कर्मचारियों के लक्ष्य भी निर्धारित किए गए हैं। इन आदेशों को लेकर अधिकारी वर्ग तो चुप्पी साधे हुए है, लेकिन मानदेय सेवा की महिला कार्मियों को यह आदेश रास नहीं आ रहे।
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इस तरह बनेंगे 75 हजार मास्क
जिले में महिला बाल विकास विभाग की सात परियोजनाओं में तीन विभागीय सीडीपीओ व दो अन्य विभागीय सीडीपीओ, 51 सेक्टर में 24 महिला पर्यवेक्षक, 1539 कार्यकर्ता, 1309 आशा सहयोगिनी एवं महिला अधिकारिता के तहत 188 ग्राम पंचायतों में साथिन कार्यरत है। इसके लिए तय किए लक्ष्य के मुताबिक प्रति सेक्टर 1500 मास्क मानदेय कर्मी तैयार कर संबंधित महिला पर्यवेक्षक को सात दिवस में उपलब्ध कराएंगी। सेक्टर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा एवं साथिन कम से कम 25 से 30 मास्क बनाकर महिला पर्यवेक्षकों को उपलब्ध कराएंगी। सभी महिला पर्यवेक्षक व सीडीपीओ 200-200 मास्क अपने स्तर से भी बनवाएंगे। इस तरह विभाग की ओर से करीब 70 से 75 हजार मास्क बनाकर जिला प्रशासन के निर्देशानुसार वितरित करना है।
नगर परिषद कर रही है ये मास्क वितरित
वैसे नगरपरिषद की ओर से भी शहर समेत नगरपरिषद क्षेत्र में पेम्फलेट, स्टिकर व मास्क का वितरण किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए नगरपरिषद का सरकारी फंड ही उपयोग में लिया जा रहा है। आदेश जारी कर विभागीय कर्मचारियों से आर्थिक (मास्क के लिए) सहयोग नहीं लिया जा रहा है। नगरपरिषद की ओर से अब तक करीब 70 हजार मास्क का वितरण किया जा चुका है। हालांकि शुरूआत में व्यापार मंडल व प्रगति संस्थान की ओर से भी नगरपरिषद को कुछ मास्क उपलब्ध कराकर सहयोग किया गया था, लेकिन अधिकांश मास्क नगरपरिषद के स्वयं के फंड से वितरित किए जा रहे है। इसके लिए नगरपरिषद की ओर से तो टैंडर प्रक्रिया भी अपनाई गई।
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एक मीटर कपड़ा से कम से कम 10 से 15 डोरी वाले मास्क बनाए जा सकते हैं। इसमेंं उपनिदेशक का भी दो सौ मास्क उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार 20 नवम्बर के बाद उपखंड स्तर पर कार्यक्रम घोषित कर मास्क का गांव-गांव में वितरण कराने का कार्यक्रम है। यह बारां की भलाई के लिए ही है।
हरिशंकर नुवाद, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग
नगरपरिषद क्षेत्र में नगरपरिषद के फंड से मास्क वितरित किए जा रहे है। अब तक करीब 70 हजार मास्क वितरित किए जा चुके हैं। मास्क बनवाने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी अपनाई गई है। शुरू दो-तीन संस्थाओं ने कुछ सहयोग किया था।
मनोज कुमार मीणा, आयुक्त नगरपरिषद
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स्वयं के खर्च पर मास्क उपलब्ध कराने के आदेशों से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। कोरोना योद्धा के रूप में कार्य करने के बावजूद उन्हें अन्य विभागीय कर्मचारियों की तरह प्रोत्साहन राशि भी नहीं दी गई है, लेकिन प्रशासन का आदेश है तो देश सेवा के तौर पर सहयोग करना चाहिए।
लता मिश्रा, जिलाध्यक्ष, आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ (भामसं)
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