प्रदेश में भाजपा के एक साल का शासन पूर्ण होने पर अंडरपास निर्माण के लिए बजट का आवंटन करके रेलवे को राशि सौंपी गई थी। रेलवे ने निविदा प्रक्रिया पूरी करके ठेकेदार को इसका कार्य आदेश सौंपा और ब्लॉक लेकर अंडरपास के बने ब्लाक्स पटरियां उखाड़कर उसमें डाल दिए।
एक साल की अवधि में रेलवे को अंडरपास के निर्माण व उसमे विकसित की जाने वाली सुविधाओं का लाभ आमजन को पहुंचाना था। अवधि समय बीत जाने के ढाई साल बाद भी अंडरपास का संपूर्ण निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। अंडरपास में बरसाती पानी की आवक होने के बाद निकासी का उचित प्रबंध नहीं करने से राहगीरों की दिक्कतों को बढ़ाता है।
शेड का एक हिस्सा पूर्ण हो चुका है तो दूसरे हिस्से में शेड निर्माण कार्य चालू होने के बाद मंथर गति से चल रहा है। अंडरपास में बिजली की रोशनी नहीं होने से रात के समय में अंधेरा रहता है। निर्माण कार्य की गति धीमी होने से लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अंडरपास के दोनों हिस्सों में बनी सीमेंट सड़क में गड्ढे होने से वाहन चालकों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
नहीं मिल पाई निजात– इतना समय बीत जाने के बाद, आज भी अंडरपास से सम्बंधित समस्याएं जस की तस है | बरिश के दौरन शहर के लोगों को पटरी पार क्षेत्र की और आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | इतना ही नहीं इस दौरान अंडरपास में भी बरसाती पानी का भराव हो जाता है, जिसकी निकासी के लिए कोई समुचित व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई |