मौसम के खिलाफ छिड़ी जंग में मशीनों को हथियार बनाने की इंसान को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। एयर कंडीशनर की ठंडा करने की क्षमता (शीतलक क्षमता), बिजली की खपत और उनके अनुपात (ऊर्जा दक्षता अनुपात) की गणना के आधार पर एसी रेटिंग जारी करने वाले ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के आंकड़ों के मुताबिक 2500 किलोवाट के एक टन एसी को हर रोज औसतन छह घंटे चलाने पर एक महीने में करीब 450 यूनिट बिजली खर्च होती है।
औसतन बिजली खपत बीईई की ओर से जारी मानक तापमान और हॉट एंड कूल फैसेलिटी की गणना के मुताबिक कोटा में औसतन 252 दिन एसी चलाना पड़ता है। अर्थशास्त्री डॉ. गोपाल सिंह कहते हैं कि ब्यूरो की मानक गणना और कोटा में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कर रही कंपनी केईडीएल की ऊर्जा खपत के आधार पर यदि आंकड़ा निकाला जाए तो एक एसी चलाने पर सालाना औसतन 3780 यूनिट खर्च हो रही है। शहरभर के 2.62 लाख से ज्यादा घरों में लगे एसी चलाने पर खर्च हुई बिजली का आंकड़ा हैरत में डाल देता है। इसके मुताबिक ठंडे रहने की ख्वाहिश पर कोटा के बाशिंदे सालाना 1001.7 करोड़ यूनिट बिजली फूंक रहे हैं।
बसा सकते हैं नया शहर डॉ. सिंह कहते हैं कि घर के अंदर की गर्मी को खत्म करने के लिए शहर की गर्मी बढ़ा रहे एसी चलाने वाले यदि एक साल के लिए अपनी वातानुकूलन की सुविधा का स्विच ऑफ कर दें तो कोटा की काया ही पलट जाए। औसतन एक यूनिट बिजली का खर्च सात रुपए मान लिया जाए तो आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि कोटा के लोग महज एसी चलाने के लिए 7011.9 करोड़ वार्षिक औसत खर्च कर रहे हैं। यह रकम इतनी बड़ी है कि इसका इस्तेमाल यदि सीवरेज सिस्टम पर किया जाए तो न सिर्फ जीवनदायनी चंबल को हमेशा के लिए प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है, बल्कि पूरे शहर में हर एक घर को सीवरेज सिस्टम से भी जोड़ा जा सकता है। ऊपर से शहर का तापमान करीब चार डिग्री कम होगा सो अलग।
भामाशाह बनो शहर बचाओ कोटा में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रही संस्था ग्रीन कोर के संयोजक डॉ. सुधीर गुप्ता कहते हैं कि लकदक जिंदगी की ख्वाहिश ने हमें ग्लोबल वार्मिंग के मुंह में धकेल दिया है। बदलती जीवन शैली में सुविधाओं की बढ़ती चाहत में फंसे लोग एसी का इस्तेमाल चाह कर भी पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते, लेकिन उसमें एक घंटे की कमी भी कर दें तो हालात खासे बदले जा सकते हैं। कोटा की पहचान भामाशाहों के लिए होती है और यदि एसी चलाने वाले लोग शहर के विकास और पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी लें और एक घंटे एसी बंद कर बचाए गए पैसे को इस काम के लिए दान कर दें तो हैरत की बात नहीं होगी कि आईएल में प्रस्तावित ऑक्सीजोन जैसे चार घने जंगलों वाले इलाके हर साल तैयार किए जा सकते हैं।
15 हजार तक बिक्री
एसी के होलसेल विक्रेता अंकुर जैन बताते हैं कि गर्मी का सीजन आते ही कोटा में हॉस्टलों के लिए ही औसतन सात से आठ हजार नए एसी खरीदे जाते हैं। जबकि दो से तीन हजार नए एसी घरों में लगते हैं। पूरे साल में एसी की औसतन बिक्री 15 हजार का आंकड़ा पार कर जाती है। एक एसी का औसत मूल्य 20 हजार रुपए भी मान लिया जाए तो एसी मार्केट का सालाना औसत कारोबार 30 करोड़ रुपए के करीब है।
बढ़ जाता है 20 डिग्री पारा
थर्मोडाइनेमिक्स के एक्सपर्ट भावेश कुमार शाक्य बताते हैं कि कूलिंग इफेक्ट जनरेट करने के लिए एसी में फ्लूड या रेफ्रिजरेट के तौर पर क्लोरो फ्लोरो कार्बन या क्लोरो फ्लोरो हाइड्रोकार्बन गैसों का इस्तेमाल किया जाता है। बिजली के जरिए रेफ्रिजरेट को गर्मी देने पर कूलिंग जनरेट होती है। इस प्रक्रिया में ग्रीन हाउस गैसों के साथ-साथ एसी का आउटडोर यूनिट 60 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी बाहर फेंकता है। जिससे 50 मीटर के दायरे की आद्र्रता तो खत्म होती ही है। आसपास का औसत तापमान 20 डिग्री तक बढ़ जाता है।
बिजली की खपत में लगी ‘आग’ साल – महीना – खपत 2017 – जनवरी से मार्च – 730 लाख यूनिट अप्रेल – 1120 लाख यूनिट मई से जुलाई – 1300 लाख यूनिट
2018 – जनवरी से मार्च – 760 लाख यूनिट अप्रेल – 1160 लाख यूनिट मई से जुलाई – 1440 लाख यूनिट 2019 – जनवरी से मार्च – 840 लाख यूनिट अप्रेल – 1170 लाख यूनिट
संभावित – मई और जून – 1500 लाख यूनिट संभावित – जुलाई – 1420 लाख यूनिट (श्रोत: केईडीएल, औसतन खपत प्रति माह)